Saturday, August 2, 2025
छत्तीसगढ़छत्तीसगढ़ : छात्रावासी बच्चों का समग्र विकास अधिकारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी

छत्तीसगढ़ : छात्रावासी बच्चों का समग्र विकास अधिकारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी

छत्तीसगढ़ : छात्रावासी बच्चों का समग्र विकास अधिकारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी

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उनसे संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन पूरी गुणवत्ता के साथ सुनिश्चित करे-आदिम जाति कल्याण मंत्री श्री नेताम आदिम जाति कल्याण एवं कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम ने तीन जिलों के अधिकारियों की ली बैठक

छत्तीसगढ़ शासन के आदिम जाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास, कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री श्री रामविचार नेताम ने आज दंतेवाड़ा जिला कार्यालय के सभागार में दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिलें के आदिवासी विकास विभाग एवं कृषि विभाग के अधिकारियों की संयुक्त समीक्षा बैठक ली। बैठक में मंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन शत-प्रतिशत पूरी गुणवत्ता के साथ सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि विभागीय कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी।

आदिवासी विकास विभाग की समीक्षा करते हुए मंत्री नेताम ने छात्रावासों में रह रहे बच्चों के समग्र विकास अधिकारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी बताया। उन्होंने सभी सहायक आयुक्तों को निर्देशित किया कि वे आश्रम-छात्रावासों का नियमित रूप से आकस्मिक निरीक्षण करें और रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपें। मंत्री ने कहा कि जिन अधीक्षकों द्वारा आश्रमों का संचालन ठीक ढंग से नहीं कर रहे हैं, उन्हें तत्काल हटाया जाए। साथ ही सभी प्रकार की सामग्री की आपूर्ति गुणवत्तापूर्ण होनी चाहिए और सामग्री की खरीदी केवल जेम पोर्टल के माध्यम से की जाए, खुले बाजार से कोई भी खरीदी न की जाए।

वर्तमान में बरसात का मौसम होने के कारण मंत्री नेताम ने आश्रमों में नियमित सफाई, जीव-जन्तुओं से सुरक्षा और साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने छात्रावासों में बिजली, पेयजल, शौचालय, सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया। साथ ही उन्होंने छात्रावास परिसरों में पौधरोपण कराए जाने के भी निर्देश दिए। मंत्री नेताम ने निर्माण कार्यों की शीघ्र पूर्णता और शासन की राशि के समुचित उपयोग पर विशेष ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि आश्रमों की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिकारियों को निरंतर निगरानी रखनी होगी।

बैठक में तीनों जिलों के सहायक आयुक्तों ने अपने-अपने जिलों में संचालित छात्रावासों की अद्यतन जानकारी मंत्री को दी। दंतेवाड़ा जिले में 70 आश्रमों में 6340 स्वीकृत सीटों के विरुद्ध 5950 बच्चे प्रवेशित हैं। वहीं, प्री मैट्रिक छात्रावासों की संख्या 38 है जिनमें 4185 सीटों के विरुद्ध 3331 छात्र हैं। पोस्टमैट्रिक छात्रावासों की संख्या 20 है, जिनमें 2200 स्वीकृत सीटों के मुकाबले 2615 छात्र निवासरत हैं।

सुकमा जिले में 95 आश्रमों में 8355 सीटें स्वीकृत हैं जिनमें 8108 छात्र प्रवेशित हैं। 33 प्री मैट्रिक छात्रावासों में 2295 सीटों के मुकाबले 2720 बच्चे और 13 पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों में 650 सीटों की तुलना में 1200 बच्चे निवासरत हैं।

इसी प्रकार बीजापुर जिले में 137 आश्रम संचालित हैं जिनमें 11600 सीटों के विरुद्ध 10289 बच्चे प्रवेशित हैं। 42 प्री मैट्रिक छात्रावासों में 3335 सीटों पर 2936 बच्चे और 10 पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों में 500 सीटों पर 513 छात्र निवासरत हैं। बैठक मे ही मंत्री ने स्पष्ट कहा कि है कि अब आश्रम-छात्रावासों की निगरानी और संचालन और अधिक सुदृढ़ एवं जवाबदेह बनाया जाए ताकि इन संस्थानों में रह रहे बच्चों को सुरक्षित, स्वच्छ और गुणवत्तापूर्ण वातावरण मिल सके।

 

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