महासमुंद/बकरी पालन से आत्मनिर्भरता की ओर : जय बड़ादेव महिला समूह की प्रेरक यात्रा
महासमुंद जिले के गुलझर ग्राम की महिलाओं ने यह कर दिखाया है कि आत्मनिर्भरता का मार्ग दूर नहीं, बस सही दिशा, दृढ़ इच्छाशक्ति और सामूहिक प्रयास चाहिए। वर्ष 2019 में गठित जय बड़ादेव महिला समूह ने स्थानीय संसाधनों का बेहतर उपयोग कर अपने लिए आजीविका का स्थायी जरिया बनाया और अपनी आर्थिक हालात को नई दिशा दी।
समूह की अध्यक्ष श्रीमती गोमती ध्रुव बताती हैं कि प्रारंभ में उन्होंने बकरी पालन को व्यवसाय के रूप में अपनाया। क्योंकि ग्रामीण परिवेश में बकरी पालन के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण और जानकारी की आवश्यकता दूसरे व्यवसायों के मुकाबले कम था। उनके अनुसार बकरी पालन सिर्फ पशुपालन नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की नई राह बन गई। उन्होंने बताया कि बिहान योजना के अंतर्गत उन्होंने 1 लाख रुपए की प्रारंभिक राशि का ऋण लिया। नियमित किस्तों और बेहतर आय के चलते वे ऋणमुक्त हुईं और आगे चलकर 2 लाख तथा फिर 4 लाख का ऋण लेकर व्यवसाय का विस्तार किया। नियमित ऋण अदायगी से समूह को 15 हजार रुपए का आरएफ और 60 हजार रुपए का सीआईएफ भी मिला। आज समूह की 8 महिला सदस्यों के पास चार से पाँच बकरियाँ हैं। वे न केवल बकरी पालन कर रही हैं, बल्कि उससे उत्पन्न बकरी खाद को तैयार कर बेचकर प्रति माह 4 से 5 हजार रुपये तक की अतिरिक्त आय अर्जित कर रही हैं। बकरी खाद की गुणवत्ता और जैविक प्रकृति के कारण इसकी मांग पुणे जैसे बड़े शहरों में भी बनी हुई है।

हाल ही में जिला पंचायत परिसर में लगे आकांक्षा हाट में समूह द्वारा लगाए गए स्टॉल में बकरी खाद को लोगों का जबरदस्त प्रतिसाद मिला। इससे महिलाओं का उत्साह और आत्मविश्वास और भी बढ़ा है। गोमती ध्रुव और उनकी साथी महिलाओं ने यह बता दिया कि यदि ग्रामीण महिलाएं संगठित होकर काम करें और सरकार की योजनाओं का सही लाभ उठाएं, तो वे अपनी आजीविका को मजबूत ही नहीं, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बन सकती हैं। वे शासन की बिहान योजना और अन्य आजीविका उन्मुख योजनाओं के लिए धन्यवाद देती हैं, जिन्होंने उन्हें यह मंच और अवसर प्रदान किया।
