महासमुंद : छात्राओं की चीखें दब गईं फाइलों में — बसना छात्रावास में जांच पूरी, पर इंसाफ़ लापता अधिकारी अब भी मौन!
बसना ब्लॉक छात्रावास विवाद: छात्राओं से अश्लील वीडियो दिखाने व टॉर्चर का आरोप, जांच पूरी लेकिन कानूनी कार्रवाई अब भी लंबित महासमुंद जिले के बसना ब्लॉक स्थित आदिवासी कन्या छात्रावास में पदस्थ शिक्षिका एवं छात्रावास प्रभारी गीता पटेल पर गंभीर और चौंकाने वाले आरोप लगे थे। छात्राओं ने अधीक्षिका पर अश्लील वीडियो दिखाने, जबरन मालिश कराने, कपड़ों से सफाई करवाने और मानसिक व शारीरिक टॉर्चर जैसे कृत्यों का आरोप लगाया था।
यह शिकायत पालको ने सीधे जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को सौंपी गई थी। मामला मीडिया में आने के बाद विभागीय हलकों में हड़कंप मच गया और तत्काल जांच के आदेश जारी किए गए।
विभागीय जांच पूरी, लेकिन कार्रवाई वहीं की वहीं जांच का जिम्मा जिला छात्रावास विभाग की ज़िला अधिकारी शिल्पा साय को सौंपा गया था।
खण्ड प्रभारी रोहित पटेल के साथ गठित टीम ने छात्रावास का दौरा किया, छात्राओं से बयान लिए और रिपोर्ट में आरोपों को गंभीर व प्रमाणिक माना गया।
परिणामस्वरूप गीता पटेल को बसना ब्लॉक के खोखसा छात्रावास से हटाकर मूल शाला में पदस्थ कर दिया गया।
लेकिन यह कार्रवाई केवल स्थानांतरण तक सीमित रही — न तो FIR दर्ज हुई, न ही किसी तरह की कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ी।
महीनों बाद भी अधिकारी चुप
जांच पूरी हुए अब कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन मामला वहीं अटका हुआ है।
विभागीय अधिकारी अब बयान देने से बच रहे हैं।
ट्रायबल विभाग की प्रभारी शिल्पा साय, जिन्होंने जांच की थी, अब फोन तक नहीं उठा रही हैं।
स्थानीय पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि —
> “मामले को धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है, जबकि इसमें नाबालिग छात्राओं की गरिमा का सवाल जुड़ा है।”
शिक्षा विभाग ने जिम्मेदारी टाल दी
जिला शिक्षा अधिकारी विजय लहरे ने पहले कहा था,
> “यह मामला छात्रावास से संबंधित है, इसलिए कार्रवाई का अधिकार आदिम जाति कल्याण विभाग का है।”
हालांकि अब ट्रायबल विभाग भी मौन है।
विधायक चातुरी नंद का बयान
सरायपाली विधायक चातुरी नंद
> “यदि आरोप सही हैं तो केवल तबादला पर्याप्त नहीं। यह POCSO एक्ट और आईटी एक्ट के तहत गंभीर अपराध है। आरोपी पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।”
जनता और समाज में आक्रोश
कांग्रेस कार्यकर्ताओं, वकीलों और समाजसेवियों ने कहा है कि –
> “सरकार ऐसे मामलों में केवल दिखावटी कार्रवाई कर रही है। छात्राओं से जुड़े इस प्रकार के मामले में विभागीय जांच नहीं बल्कि पुलिस FIR जरूरी है।”
न्याय की राह पर प्रशासन मौन
बसना छात्रावास प्रकरण आज भी न्याय की प्रतीक्षा में है।
कई महीनों के बाद भी कोई कानूनी प्रगति नहीं हुई, और विभागीय अधिकारी लगातार मौन हैं।
यह मौन अब प्रशासनिक लापरवाही से आगे बढ़कर संवेदनशीलता की कमी बनता जा रहा है।
अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में न्याय दिलाने के लिए आगे आता है या यह मामला अन्य फाइलों की तरह रफ्ता-रफ्ता गुमशुदा हो जाएगा।