महासमुंद: “गाँव से जिला सदस्य, विधायक, और सांसद तक — रूपकुमारी चौधरी का संघर्षभरा सफर छत्तीसगढ़ की राजनीति में कुछ चेहरे ऐसे हैं जो न सिर्फ जनता से गहरे जुड़े हुए हैं, बल्कि अपने ज़मीनी संघर्ष और सेवा के बल पर राजनीति में पहचान बनाते हैं। रूपकुमारी चौधरी ऐसी ही एक महिला नेता हैं, जिन्होंने सीमित शिक्षा, ग्रामीण पृष्ठभूमि और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बावजूद राजनीति में उल्लेखनीय मुकाम हासिल किया है। बीजेपी पार्टी की एक सशक्त नेत्री के तौर पर बसना विधानसभा से लेकर महासमुंद लोकसभा सीट तक उनकी यात्रा दृढ़ संकल्प, जनसेवा और पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता की मिसाल है।
प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि.रूपकुमारी चौधरी का जन्म 5 जुलाई 1976 को छत्तीसगढ़ के एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता खेमराज पटेल और माता हीरावती पटेल ने एक साधारण और मेहनतकश जीवन जिया। रूपकुमारी का बचपन गांव की गलियों, खेत-खलिहानों और परिवार की जिम्मेदारियों के बीच बीता। उन्होंने 10वीं तक शिक्षा प्राप्त की, लेकिन उनका दृष्टिकोण जीवन के प्रति बेहद परिपक्व रहा। पारिवारिक माहौल में सादगी और ईमानदारी के संस्कार मिले, जिसने आगे चलकर उनके राजनीतिक स्वभाव को गढ़ा।
शुरुआती जीवन से ही वे खेती-किसानी से जुड़ी रहीं, जिससे उन्हें ग्रामीण जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों को समझने का मौका मिला। उनके यही अनुभव आगे चलकर जनप्रतिनिधि बनने के दौरान बेहद उपयोगी साबित हुए।
व्यक्तिगत जीवन और पारिवारिक जिम्मेदारियां
रूपकुमारी चौधरी का विवाह ओमप्रकाश चौधरी से हुआ, जो स्वयं भी कृषक हैं। दंपति का जीवन कृषि, पारिवारिक मूल्यों और सामाजिक सरोकारों से जुड़ा रहा है। इनके तीन बच्चे हैं, एक पुत्र और दो पुत्रियाँ। परिवार और राजनीति के बीच संतुलन बनाकर उन्होंने दोनों मोर्चों पर खुद को साबित किया है।
एक मां, पत्नी और बहू की भूमिका निभाने के साथ-साथ वे राजनीति में भी सक्रिय रहीं और समाज के लिए प्रेरणादायक कार्य करती रहीं। उनकी सादगी, व्यवहारिकता और जमीनी जुड़ाव उन्हें जनता के और करीब लाता है।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत और भाजपा से जुड़ाव
रूपकुमारी चौधरी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से की। उनका राजनीतिक करियर अचानक नहीं बना, बल्कि समाज के साथ लगातार जुड़े रहने और संगठन में सक्रिय भागीदारी से तैयार हुआ। एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने पार्टी की नीतियों को गांव-गांव तक पहुंचाया। महिलाओं को संगठन से जोड़ने में भूमिका निभाई और किसान व महिला वर्ग के मुद्दों को उठाया।
साल 2005 में रूप कुमारी चौधरी पहली बार सराईपाली विधानसभा क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं. इसके बाद 2006 में वह बीजेपी की कार्यकारिणी सदस्य चुनी गईं. 2010 में वह बसना से विधानसभा क्षेत्र से पंचायत सदस्य चुनी गईं. इसके बाद 2011 में वह महासमुंद बीजेपी महिला मोर्चा की महामंत्री बनीं. भाजपा ने उनकी कार्यशैली, निष्ठा और जनसंपर्क क्षमता को पहचानते हुए उन्हें 2013 में बसना विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया। यह निर्णय पार्टी के लिए दूरदर्शी साबित हुआ।
2013 का विधानसभा चुनाव और ऐतिहासिक जीत
2013 के विधानसभा चुनाव रूपकुमारी चौधरी के जीवन में एक निर्णायक मोड़ साबित हुए। उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले देवेंद्र बहादुर सिंह को हराकर बसना सीट पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। यह जीत केवल एक राजनीतिक विजय नहीं थी, बल्कि एक साधारण महिला की समाज में बढ़ती भूमिका और राजनीतिक सशक्तिकरण की तस्वीर थी। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को 6,239 मतों से पराजित किया, जिससे यह साबित हुआ कि जनता अब वंशवाद नहीं, बल्कि सेवा को वोट देती है।
उनकी जीत में उनकी मेहनत, सहज व्यक्तित्व और जनता से गहरे जुड़ाव की बड़ी भूमिका रही। इस चुनाव ने उन्हें छत्तीसगढ़ विधानसभा की सदस्य बनाया और एक नई पहचान दी।
विधायक कार्यकाल (2013-2018) और क्षेत्रीय विकास
विधायक बनने के बाद रूपकुमारी चौधरी ने अपने क्षेत्र के विकास के लिए निरंतर काम किया। उन्होंने सड़क निर्माण, नालियों की सफाई, पेयजल योजना, स्कूल भवन निर्माण, आंगनबाड़ी केंद्रों के उन्नयन और ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने जैसे बुनियादी कामों पर विशेष ध्यान दिया।
उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्व-सहायता समूहों को प्रोत्साहित किया और बेरोजगार युवाओं के लिए सरकारी योजनाओं की जानकारी और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराए।
उनकी कोशिशों से कई गांवों तक बिजली और साफ पानी की सुविधा पहुंची। शिक्षा के क्षेत्र में भी वे लगातार प्रयासरत रहीं, विशेष रूप से बालिकाओं की शिक्षा के लिए। स्थानीय जनता में उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण यही रहा कि वे सदा क्षेत्र में उपलब्ध रहीं और हर छोटे-बड़े मसले पर सीधे संवाद किया।
संसदीय सचिव के रूप में कार्यकाल (2015-2018)
2015 में रूपकुमारी चौधरी को छत्तीसगढ़ सरकार में संसदीय सचिव नियुक्त किया गया। यह पद उन्हें उनकी सक्रियता और जनहित के कार्यों के कारण दिया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने विधानसभा में सरकार के विधायी कार्यों में सहयोग किया और योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू कराने में भूमिका निभाई। संसदीय सचिव रहते हुए उन्होंने न केवल अपने क्षेत्र, बल्कि राज्यभर में महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, कृषि और ग्रामीण विकास से जुड़े मसलों पर काम किया। उन्होंने अधिकारियों के साथ नियमित बैठकें कीं, लोगों की समस्याएं सुनीं और त्वरित समाधान की दिशा में कदम उठाए।
2024 लोकसभा चुनाव- महासमुंद से नई शुरुआत
2018 में विधायक कार्यकाल पूरा होने के बाद कुछ समय राजनीतिक गतिविधियों में विराम रहा। लेकिन पार्टी और जनता से उनका जुड़ाव बना रहा। 2024 में भाजपा ने महासमुंद लोकसभा सीट से उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दिया।
यह चुनाव उनके लिए बहुत चुनौतीपूर्ण था। बावजूद इसके उन्होंने अपनी जमीन से जुड़ी छवि, मेहनती प्रचार और महिला-समर्थन के बल पर भारी बहुमत से जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार रामनारायण साहू को 1,28,422 मतों से हराकर स्पष्ट संदेश दिया कि जनता विकास और विश्वास को वोट देती है। इस चुनावी जीत के बाद वे भारत की 18वीं लोकसभा की सदस्य बनीं और अब संसद में महासमुंद क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
लोकसभा सदस्य के रूप में वर्तमान भूमिका
रूपकुमारी चौधरी वर्तमान में महासमुंद लोकसभा सीट से सांसद हैं। संसद में वे मुख्यतः कृषि, महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास और शिक्षा से जुड़े विषयों पर मुखर रहती हैं। उन्होंने कई बार संसद में क्षेत्रीय मुद्दों को उठाया है और केंद्र सरकार से योजनाओं को अपने क्षेत्र में लागू कराने के लिए पहल की है। इसके अलावा वे विभिन्न संसदीय समितियों में भी कार्यरत हैं और नीति-निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। अपने क्षेत्र में वे निरंतर दौरे करती हैं, जन चौपालों का आयोजन करती हैं और समस्याओं के समाधान के लिए विभागीय अधिकारियों के साथ समन्वय करती हैं।
सामाजिक योगदान और सरोकार
रूपकुमारी चौधरी राजनीति को केवल सत्ता तक सीमित नहीं मानतीं। बल्कि इसे सेवा का माध्यम मानती हैं। उन्होंने विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य किया है। कृषि से जुड़ी उनकी पृष्ठभूमि ने उन्हें किसानों की समस्याओं को समझने और उन्हें सरकार की योजनाओं से जोड़ने में मदद की। वे अपने संसदीय क्षेत्र में किसानों के लिए प्रशिक्षण शिविर, बीज वितरण, सिंचाई सुविधा और पशुपालन योजनाओं के प्रचार-प्रसार में लगी रहती हैं।
उन्होंने शिक्षा के लिए विशेष अभियान चलाए। जिनमें छात्रवृत्ति वितरण, स्कूलों में स्मार्ट क्लास की शुरुआत और साइकिल योजना जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
स्वास्थ्य क्षेत्र में उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल कैंप, टीकाकरण अभियान और आयुष्मान भारत योजना का लाभ सुनिश्चित कराने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई है।
जननेत्री रूपकुमारी चौधरी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि यदि इरादे मजबूत हों और जनसेवा का जुनून हो, तो सीमित साधनों में भी असाधारण कार्य किया जा सकता है। उन्होंने अपनी मेहनत, प्रतिबद्धता और जनता के विश्वास के बल पर न केवल राजनीति में जगह बनाई, बल्कि सशक्त नेतृत्व की मिसाल कायम की।
आज वे छत्तीसगढ़ की उन महिला नेताओं में गिनी जाती हैं जिन्होंने सादगी को अपनी ताकत बनाया और सेवा को अपना उद्देश्य। संसद में उनके योगदान, समाज में उनकी भागीदारी और जनता से उनका जुड़ाव यह दर्शाता है कि वे एक सच्ची जननेत्री हैं।