सरायपाली क्षेत्र में “शिक्षक से समाजसेवा” की परंपरा — अब शिक्षक भी बन रहे हैं बदलाव के वाहक छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले का सरायपाली क्षेत्र अब शिक्षा और समाजसेवा के संगम का प्रतीक बन गया है। यहाँ के शिक्षकों ने यह साबित किया है कि वे केवल विद्यालय की चारदीवारी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि समाज में रोजगार सृजन, सामाजिक नेतृत्व और प्रेरणा के केंद्र बन सकते हैं। इसी सोच का सबसे ताज़ा उदाहरण हैं — रूपानंद पटेल नंद, जो एक ओर सरकारी शिक्षक हैं, वहीं दूसरी ओर युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं।
ग्राम लोहरिन डीपा (बसना ब्लॉक) निवासी रूपानंद पटेल लंबे समय तक सरायपाली शिक्षक और संघ के ब्लॉक अध्यक्ष और अब प्रांतीय स्तर के पदाधिकारि के रूप में सक्रिय रहे हैं। हाल ही में वे “ASR Online” नामक एक निजी कंपनी के प्रचार से जुड़े विवाद में चर्चा में आए। आरोप है कि वे इस कंपनी के प्रचार-प्रसार में भाग लेते थे, शिकायत के बाद जिसके चलते विभाग ने उन्हें निलंबित (Suspended) कर दिया।
ASR Online क्या है? रोजगार का नया मॉडल
“ASR Online” एक प्रोडक्ट और डिजिटल नेटवर्क पर काम करने वाली निजी कंपनी है, जो ग्रामीण युवाओं को रोजगार और प्रशिक्षण उपलब्ध कराती है। कंपनी का उद्देश्य है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी डिजिटल मार्केटिंग, ई-कॉमर्स और प्रोडक्ट सेल्स के माध्यम से अपनी आय बढ़ा सकें।
कंपनी की शुरुआत छोटे स्तर पर हुई थी, लेकिन अब इसका नेटवर्क ओडिशा और छत्तीसगढ़ के कई जिलों तक फैल चुका है।
स्थानीय युवाओं ने बताया कि इस प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से उन्हें ऑनलाइन प्रशिक्षण और प्रोडक्ट वितरण का अवसर मिला, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सके।
रूपानंद पटेल का कहना है कि —
> “यह कंपनी मेरे पिता की है। मैंने केवल युवाओं को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से जोड़ने में सहयोग किया है। न तो मैंने किसी सरकारी नियम का उल्लंघन किया और न ही निजी लाभ के लिए इसमें भाग लिया।”
उनके अनुसार, कंपनी का उद्देश्य ग्रामीणों में रोजगार, डिजिटल शिक्षा और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करना है।
निलंबन और विवाद का दौर
कुछ लोगों ने उनके खिलाफ शिकायत की कि वे एक सरकारी कर्मचारी होते हुए भी निजी कंपनी से जुड़े हैं। शिकायत पर विभाग ने जांच के बाद उन्हें अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया।
हालांकि, निलंबन के बावजूद रूपानंद पटेल ने अपने समाजसेवा और युवा मार्गदर्शन के कार्यों को नहीं रोका। वे लगातार युवाओं के बीच जाकर उन्हें स्वरोजगार, नशामुक्ति और डिजिटल साक्षरता के लिए प्रेरित करते रहे।
उनका कहना है कि —
> “सेवा केवल नौकरी से नहीं, बल्कि समाज से जुड़ाव से होती है। अगर हम अपने ज्ञान और अनुभव से युवाओं को आगे बढ़ा सकते हैं, तो यही सच्ची सेवा है।”
सरायपाली क्षेत्र की परंपरा: शिक्षक से समाजसेवा की राह
रूपानंद पटेल इस क्षेत्र के पहले शिक्षक नहीं हैं जिन्होंने समाज सेवा की दिशा में कदम बढ़ाया।
सरायपाली की वर्तमान विधायक श्रीमती चातुरी नंद भी इसी परंपरा का हिस्सा हैं।उन्होंने सरकारी शिक्षक की नौकरी छोड़कर समाजसेवा का मार्ग अपनाया और कांग्रेस पार्टी से टिकट पाकर सरायपाली विधायक बनीं।
इसके पहले पूर्व विधायक किस्मत लाल नंद भी इस परम्परा का हिस्सा रहे . राजनीति में बड़े से बड़े दिग्गज नेता चुनाव के मैदान में अपना भाग्य आजमाते रहे है. पूर्व MLA किस्मत दरअसल रायगढ़ जिले में पुलिस विभाग में डी एस पी के रूप में पदस्थ थे तभी किस्मत लाल नन्द नौकरी छोड़कर राजनीति के मैदान में उतरे और महासमुंद के सरायपाली विधानसभा से कांग्रेस से टिकट मिला और जीत भी हासिल की
वहीं, अनिता चौधरी, जो सरायपाली क्षेत्र की ही शिक्षिका हैं, वे भी लगातार जनसेवा और महिला सशक्तिकरण के कार्यों में सक्रिय हैं।
हालांकि, उन पर भी समय-समय पर राजनीति करने के आरोप लगते रहते हैं, लेकिन उनके कार्यों से क्षेत्र में शिक्षा और सामाजिक चेतना को मजबूती मिली है वे बस समाज सेवा का कार्य करते है ऐसे अनिता चौधरी का कहना है
शिक्षा विभाग की सख्ती और सामाजिक सवाल राज्य सरकार ने पहले ही स्पष्ट किया है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी निजी व्यापार या प्रचार में शामिल नहीं होगा। ऐसे करते पाए जाने पर सख्त कार्यवाही के आदेश है लेकिन कई बार यह रेखा धुंधली हो जाती है — जब सामाजिक और व्यावसायिक पहल एक साथ चलती हैं।
यही कारण है कि सरायपाली, पिथौरा, रायगढ़ और कोरिया जैसे जिलों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहाँ शिक्षकों को नोटिस या निलंबन झेलना पड़ा।
रूपानंद पटेल का मामला इस चर्चा का केंद्र इसलिए बना क्योंकि वे केवल एक शिक्षक नहीं, बल्कि शिक्षक नेता और समाजसेवी के रूप में भी पहचाने जाते हैं।
शिक्षक अब परिवर्तन के वाहक
छत्तीसगढ़ में अब वह दौर नहीं रहा जब शिक्षक केवल वेतन पर निर्भर रहते थे। आज शिक्षक क्रिप्टो करेंसी, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म, डिजिटल एजुकेशन, और समाजसेवा के माध्यम से अपने प्रभाव को समाज के हर हिस्से तक पहुँचा रहे हैं।
रूपानंद पटेल नंद का उदाहरण इस बात का प्रमाण है कि शिक्षक अब ज्ञान, रोजगार और समाजिक नेतृत्व — तीनों क्षेत्रों में योगदान दे सकते हैं। रूपानंद पटेल नंद का मामला केवल विवाद नहीं, बल्कि नई सोच और बदलाव की शुरुआत है।
सरायपाली की परंपरा — जहाँ शिक्षका और विधायक चातुरी नंद और शिक्षिका अनिता चौधरी जैसे उदाहरणों के ज़रिए समाजसेवा में उतरे — अब आगे बढ़ चुकी है।
यह कहानी यह साबित करती है कि शिक्षक केवल कक्षा का मार्गदर्शक नहीं, बल्कि समाज का सच्चा पथप्रदर्शक भी हो सकता है।
यदि ऐसी सोच को समर्थन मिले, तो आने वाले समय में शिक्षक केवल नौकरी करने वाले नहीं, बल्कि रोजगार देने वाले और समाज बदलने वाले बनेंगे।