महासमुंद जिले के बसना थाना अंतर्गत ग्राम नर्सिंगपुर और जगदीशपुर मे कथित तौर पर एक अनाथ आश्रम चलाया जा रहा था और सायद अभी तक चल भी रहा हो इस मामले मे महाजनपद न्यूज़ ने खबर को प्राथमिक ता के साथ खबर प्रकाशन किया गया था जिसके बाद महासमुंद जिले के तत्कालीन कलेक्टर प्रभात मलिक ने मामले को संज्ञान लेकर महासमुंद जिले के बाल संरक्षण विभाग को जाँच कार्यवाही के लिए आदेश किया था जिसके बाद महिला बाल विकास से बाल संरक्षण के टीम ने यहां जाँच की तो जो मामले सामने आया ओ लोगो के आस्था के साथ खिलवाड़ था फर्जी अनाथ आश्रम का संचालक पिछले कई सालो से महासमुंद जिले के लोगो बच्चों को अनाथ बताकर सहयोग लेता रहा लोग जगदीशपुर नर्सिंगपुर मे अनाथ बच्चे है कहकर कोई ना कोई धार्मिक व्यक्ति अपने सवेच्छा अनुसार दान करते थे कोई रकम तो खाने पिने की समान लेकिन जाँच मे जो खुलासा हुवा वह आपसे भावनाओ को ठेस पंहुचा सकता है बाल संरक्षण की टीम ने ज़ब यहां जाँच किया तो जाँच मे आश्चर्य जनक बातें सामने आई अनाथ आश्रम का ना कोई पंजीयन मिला और ना ही अनाथ बच्चे बाल संरक्षण की टीम के अनुसार ज़ब फर्जी अनाथ आश्रम के बारे संचालक कन्हई पास्टर से जानकारी लेने पर कहा की यह अनाथ आश्रम नहीं है यह तो छात्रवास है और यहां एक भी बच्चा अनाथ नहीं है सबके माता पिता है मतलब कन्हई पास्टर बसना पिथौरा और जिले के लोगो को मुर्ख बना रहा था जिन बच्चे के माता पिता है उनको अनाथ बताता रहा और लोगो से दान लेता रहा वही बाल संरक्षण टीम को छात्र वास बता भी गुमराह किया गया लेकिन जाँच मे सभी बातें स्पष्ट थी की जगदीशपुर नरसिंगपुर मे कोई बच्चे अनाथ नहीं लोगो को गुमराह कर पैसे कमाने का तरीका था वही बाल संरक्षण विभाग अब जाँच कर कार्यवाही के लिए बचते नजर आ रही है इस संबंध मे ज़ब सुचना के अधिकार के तहत जाँच कार्यवाही की कॉपी मांगने पर नाबालिक बच्चों के गोपनीयता को लेकर कुछ भी जानकारी देने से इनकार कर रही है वही जल्द ही कार्यवाही की बात करती है लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी फर्जी अनाथ आश्रम के संचालक के खिलाप कोई कार्यवही नहीं हो पाया है जिसको लेकर कई सारे सवाल उठ रहे है ना ही जानकारी दिया जा रहा है और नाही कार्यवाही आखिर फर्जी अनाथ आश्रम के संचालक को बाल संरक्षण विभाग कार्यवाही करने से क्यों डर रही है या किसी का संरक्षण तो नहीं!