बसना/बहुड़ा रथयात्रा में आस्था की गूंज, विधायक डॉ. संपत अग्रवाल ने निभाया भक्तिभाव
विधायक डॉ संपत अग्रवाल रथ की रस्सी थाम कर जगन्नाथ की वापसी यात्रा में हुए शामिल, प्रदेशवासियों की खुशहाली की करी कामना

बसना की गलियों में गूंजा भक्तिभाव, विधायक डॉ. संपत अग्रवाल ने रथ की रस्सी खींच कर निभाई सनातन संस्कृति की सेवा

बहुड़ा रथयात्रा में शामिल हुए विधायक डॉ. संपत अग्रवाल, बोले-बसना में जगन्नाथ पुरी की दिव्यता का हुआ साक्षात अनुभव

रथ की रस्सी थामते हुए बोले विधायक डॉ संपत अग्रवाल-जगन्नाथ पुरी की अनुभूति आज बसना की धरती पर जीवंत हो उठी
बहुड़ा रथयात्रा में शामिल हुए विधायक डॉ. संपत अग्रवाल,बोले-धार्मिक ऊर्जा ने मन को भावविभोर कर दिया
बसना के थाना परिसर से बहुड़ा रथयात्रा में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। रथयात्रा ने पूरा नगर भ्रमण किया। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्त्व रखता है बल्कि क्षेत्रीय सांस्कृतिक चेतना को भी जीवंत करता है। रथयात्रा में श्री राम जानकी मंदिर अध्यक्ष एवं क्षेत्रीय विधायक डॉ. संपत अग्रवाल ने विधिवत पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। विधायक डॉ. संपत अग्रवाल ने भगवान श्री जगन्नाथ, भाई बलभद्र और माता सुभद्रा की रथयात्रा में भाग लेकर रथ की रस्सी खींची। रथयात्रा के साथ मृदंग, मंजीरा, घंटा एवं शंख की सुमधुर ध्वनि से वातावरण भक्तिमय हो उठा। जयघोषों के बीच श्रद्धालुओं की सहभागिता ने यात्रा को दिव्यता से भर दिया।
विधायक डॉ अग्रवाल ने कहा कि बसना की बहुड़ा यात्रा को देखकर पुरी की रथयात्रा का आभास होता है।उन्होंने कहा बहुड़ा यात्रा दरअसल भगवान जगन्नाथ की “वापसी यात्रा” का पर्व है, जब वे नौ दिन के प्रवास के बाद गुंडिचा मंदिर से अपने मूल मंदिर लौटते हैं। यह धार्मिक अनुष्ठान भक्तों के लिए आत्मशुद्धि और सेवा का विशेष अवसर होता है।
विधायक डॉ. अग्रवाल ने कहा यह पर्व सनातन संस्कृति और भगवान राम व श्रीकृष्ण के सार्वभौमिक संदेश को जन-जन तक पहुंचाता है। गुंडिचा मंदिर भगवान की मौसी का घर माना जाता है, जहाँ उन्हें विशेष पकवान अर्पित किए जाते हैं। यह वापसी यात्रा भावनात्मक पुनर्मिलन का प्रतीक है, जो भक्तों में एक अलग ऊर्जा का संचार करता है।
इस पावन अवसर पर भाजपा मंडल अध्यक्ष नरेंद्र यादव, महामंत्री दीपक शर्मा,उर्मिला सरोज पटेल समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। इस आयोजन ने धर्म, संस्कृति और जनभावना का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत किया।
सम्पूर्ण यात्रा एक सांस्कृतिक उत्सव बन गई जहां आस्था, परंपरा और सामाजिक एकता ने मिलकर भक्तिभाव का उत्सव रचा।



