Sunday, September 21, 2025
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महासमुंद बसना / फर्जी रकबा का खेल, फरार चल रहे समिति प्रबंधक और एक सहयोगी को बसना पुलिस ने आज गिरफ्तार कर लिया है समझीए कैसे किया गया खेल

महासमुंद बसना / फर्जी रकबा का खेल, फरार चल रहे समिति प्रबंधक और एक सहयोगी को बसना पुलिस ने आज गिरफ्तार कर लिया है समझीए कैसे किया गया खेल

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पुरे मामले का विवरण प्रकरण क्रमांक 01 दिनांक 29/01/2024 को प्रार्थी शिवनाथ पटेल के द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराया कि प्राथमिक कृषि शाख समिति जाडामुडा में मुख्य आरोपी उमेश कुमार भोई एवं अन्य आरोपी रामप्रसाद पिता नंदलाल के द्वारा मिलीभगत कर किसानो के धान रकबा में हेरफेर कर अपना पंजीयन रकबा जोडकर धान विक्रय कर अनुचित लाभ कर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाने कि रिपोर्ट पर अपराध धारा 420, 467, 468, 471, 120बी, 34 भादवि दर्ज कर विवेचना में लिया गया।

प्रकरण क्रमांक 02 दिनांक 01/02/2024 को आवेदक अमृत के द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराया कि मुख्य आरोपी उमेश भोई एवं कम्प्यूटर ऑपरेटर मनीष प्रधान के साथ मिली भगत कर सर्वर डाउन होने का बहाना बनाकर अन्य 19 किसानो के साथ धोखाधडी किया है कि रिपोर्ट पर अपराध धारा 420, 409, 34 भादवि के प्रकरण दर्ज कर विवेचना में लिया गया।

प्रकरण क्रमांक 02 दिनांक 01/02/2024 को आवेदक अमृत के द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराया कि मुख्य आरोपी उमेश भोई एवं कम्प्यूटर ऑपरेटर मनीष प्रधान के साथ मिली भगत कर सर्वर डाउन होने का बहाना बनाकर अन्य 19 किसानो के साथ धोखाधडी किया है कि रिपोर्ट पर अपराध धारा 420, 409, 34 भादवि के प्रकरण दर्ज कर विवेचना में लिया गया

विवेचना के दौरान आरोपियों की पतासाजी कर 02 धोखाधड़ी करने वाले को घेराबंदी कर पकड़ा गया (01) उमेश भोई पिता इन्द्रजीत भोई उम्र 34 साल निवासी जाडामुडा थाना बसना जिला महासमुंद छ0ग0 एवं (02) राम प्रसाद बरिहा पिता नंदलाल बरिहा उम्र 30 साल निवासी बैतारी थाना बसना जिला महासमुंद छ0ग0 के द्वारा अपना पंजीयन रकबा जोडकर धान विक्रय कर अनुचित लाभ कर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाना तथा किसानों के साथ धोखाधड़ी करना स्वीकार किए। जिस पर पुलिस के द्वारा अपराध धारा के तहत् विधिवत गिरफ्तारी की कार्यवाही कर माननीय न्यायालय पेश किया गया है । प्रकरण में फरार अन्य आरोपियों की पतासाजी की जा रही है।
यह संपूर्ण कार्यवाही महासमुंद पुलिस के द्वारा किया गया है।

समझिये फर्जीवाड़ा कैसे किया गया
सहकारी समितियों में धान बेचने के लिए रकबा का पंजीयन कराया जाता है उसी रकबे के हिसाब से धान की खरीदी होती है। फर्जीवाड़ा करने वाले इस समिति के कर्मचारियों ने जिन किसानों ने धान बेचने के लिए समिति में पंजीयन नहीं कराया है, उन किसानों का रकबा को अपने परिचित और अपने रिश्‍तेदारों के रकबे में जोड़कर रकबा को बढ़ाया और उसी फर्जी रकबे से करोड़ों की धान खरीदी की गयी है।

फसल संबंधी गिरदावरी रिपोर्ट आने के बाद समिति में पंजीयन का कार्य समिति प्रभारी/प्रबंध और कंप्यूटर आपरेटर द्वारा ही किया जाता है। प्रबंध किसानों का रकबा चेक करता है फिर आपरेटर उसे कंप्यूटर में रकबा पंजीयन के रूप में एंट्री करता है। इसी के आधार पर धान की खरीदी होती है। इसी समय फर्जीवाड़ा करते हुए फर्जी तरीके से रकबा बढ़ाया गया। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति जाड़ामुड़ा समिति में समिति प्रभारी/ प्रबंधक उमेश भोई थे और कम्प्यूटर ऑपरेटर मनोज प्रधान थे।

फर्जीवाड़ा करने के लिए धान खरीदी के पूर्व से ही सुनियोजित तरीके से किसानों के धान का रकबा बढ़ाया गया। अक्टूबर 2023 में ही समिति के प्रभारी/प्रबंधक और कंप्यूटर ऑपरेटर अपने रिश्तेदार और परिचित किसानों के साथ मिलकर फर्जी पंजीयन किया ताकि इन फर्जी रकबा में फर्जी तरीके से धान की खरीदी किया जा सके। प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी और प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी और प्रत्येक क्विंटल का समर्थन मूल्य 3100 रुपये देने की बात हुई और ये फर्जीवाड़ा करने वालों के लिए सोने पर सुहागा जैसे बात हो गई।
आखिर इतना धान इनके नाम पर कैसे बिक रहा है
जब इन किसानों के पास खेती का रकबा कम है, जिसे फर्जी तरीके से बढ़ाया गया है उनके पास धान कहा से आ रहा है जिसे बिक्री किया जा रहा है। ये भी जांच का विषय है।

फर्जीवाड़ा में फसने के बाद आरोपितों ने जिस किसान के रकबे को अपने रकबे में जोड़कर धान बिक्री किया है, उन किसानों से अधिया लेने का झूठा दावा कर रहे हैं। जबकि पीड़ित किसानों ने बताया है कि उन्होंने न किसी को अधिया दिया है न किसी को धान बेचने की सहमति दी है। अगर किसान से अधिया लेते तो धान खरीदी के लिए बने साफ्टवेयर में अधिया का कालम होता है, जिसमे अधिया लिए गए रकबे का जिक्र होता है। लेकिन यहां फर्जीवाड़े में शामिल सभी किसानों का साफ्टवेयर में अधिया का कालम शून्य है। इसका मतलब ये है कि उन्होंने अधिया, रेगहा लिया ही नहीं है। दूसरी महत्वपूर्ण तथ्य जब भी कोई किसी से खेत अधिया, रेगहा लेता है जून-जुलाई माह में धान बुवाई के समय ही स्टांंप पेपर में सहमति लेता है उसे समिति में जमा करना होता है उस हिसाब से सॉफ्टवेर में अधिया के कालम को भरा जाता है। इन्होंने अधिया रेगहा लिया ही नहीं है इ लिए अधिया का कालम शून्य है।

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