बसना /महिला एवं बाल विकास विभाग के लिए संसाधन केंद्र निर्माण की मांग, विधायक डॉ. संपत अग्रवाल ने दिया समाधान का आश्वासन
बसना/आंगनबाड़ी योजनाओं को मिलेगा स्थायित्व, विधायक डॉ. संपत अग्रवाल ने संसाधन केंद्र निर्माण को बताया प्राथमिकता विकास की राह पर बसना :विधायक डॉ. संपत अग्रवाल की पहल से बसना में महिला-बाल विकास को मिलेगी नई उड़ान महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत एकीकृत बाल विकास परियोजना कार्यालय बसना के लिए स्थायी संसाधन केंद्र (भवन) निर्माण की मांग ने जोर पकड़ा है। वर्तमान में भवन की अनुपलब्धता के कारण विभागीय संचालन में लगातार असुविधाएं उत्पन्न हो रही हैं।
इस संबंध में परियोजना अधिकारी द्वारा जनपद पंचायत बसना के सभापति प्रकाश सिन्हा को औपचारिक पत्र प्रेषित कर भवन निर्माण की आवश्यकता जताई गई। प्राप्त मांग पत्र को गंभीरता से लेते हुए सभापति सिन्हा ने बसना विधानसभा क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक डॉ. संपत अग्रवाल को प्रस्ताव सौंपा तथा भवन निर्माण की स्वीकृति हेतु अनुरोध किया।

विधायक डॉ. संपत अग्रवाल ने इस मांग पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए आश्वासन दिया कि जल्द ही इस समस्या का समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाएं समाज के सबसे संवेदनशील वर्गों तक पहुँचने का माध्यम हैं। यदि इन योजनाओं के संचालन में कोई बाधा है, तो उसे दूर करना हमारी प्राथमिकता है। संसाधन केंद्र का निर्माण न केवल विभागीय कार्यों को गति देगा, बल्कि ग्रामीण अंचलों में महिलाओं और बच्चों के जीवन स्तर को भी बेहतर बनाएगा।

विधायक डॉ. अग्रवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि वे इस प्रस्ताव को राज्य स्तर पर उठाकर आवश्यक बजट स्वीकृति हेतु प्रयासरत रहेंगे। उन्होंने कहा कि बसना विधानसभा क्षेत्र में विकास की गति को बनाए रखने के लिए वे लगातार प्रशासनिक अधिकारियों से संवाद कर रहे हैं और जनहित के मुद्दों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि विकासखंड बसना के अंतर्गत वर्तमान में 341 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं, जिनके संचालन, प्रशिक्षण एवं योजना क्रियान्वयन के लिए एक स्थायी संसाधन केंद्र की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है। विभागीय कार्य फिलहाल अस्थायी संसाधनों के भरोसे संचालित हो रहे हैं, जिससे योजनाओं की गुणवत्ता और पहुँच प्रभावित हो रही है।
सभापति प्रकाश सिन्हा ने बताया कि संसाधन केंद्र के निर्माण से महिला एवं बाल विकास से संबंधित गतिविधियों का संचालन अधिक प्रभावी ढंग से हो सकेगा। साथ ही, इससे ग्रामीण अंचलों में महिला-शिशु कल्याण की योजनाएं बेहतर ढंग से पहुँच सकेंगी, जिससे क्षेत्रीय विकास को नई गति मिलेगी।