CG बसना : 20 साल पहले मुंबई में लापता हुए युवक की दर्दनाक सच्चाई, अब मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए 50 हजार की रिश्वत की मांग, आरोप है की अब गवाह को भी धमकाया जा रहा है
बसना (महासमुंद)।
छत्तीसगढ़ के बसना ब्लॉक के ग्राम सलखंड का एक गरीब परिवार बीते दो दशकों से दर्द और इंतजार के बीच जी रहा है। करीब 20 साल पहले गुम इंसान मूल चंद्र साहू अपने गाँव के 4 साथियों के साथ रोज़गार की तलाश में मुंबई गया था। उसके साथी वापस लौट आए, लेकिन वह नहीं लौटा। घरवालों को बताया गया कि वह मुंबई में कहीं गुम हो गया है।
परिवार ने वर्षों तक उसके लौटने का इंतजार किया, लेकिन एक साल पहले उसके ही एक साथी ने चौंकाने वाला खुलासा किया। उसने मृतक के भाई गोपी नाथ साहू को बताया कि मुंबई में समुद्र में आई बाढ़ के दौरान वह बह गया और उसकी ओ लापता हो गया उसके साथियों ने उसको मृत ही माना भाई ने यह दर्दनाक सच अपने सीने में दबाए रखा, लेकिन आखिरकार सच्चाई सामने आई।

सच्चाई सामने आने के बाद मृतक के परिवार ने गांव में दशगात्र और अंतिम संस्कार की रस्में करने की भी तैयारी की थी। लेकिन आरोप है कि पंचायत के सरपंच और सचिव ने खुद परिजनों से संपर्क कर कहा कि पहले मृत्यु प्रमाण पत्र बनना जरूरी है, उसके बाद ही अंतिम कार्यक्रम करें। इसके बदले उन्होंने 50,000 रुपये की मांग की।

परिजनों का कहना है कि उन्होंने किस्तों में लगभग 30,000 रुपये दे भी दिए — कभी ऑनलाइन तो कभी नकद। गवाह भी मौजूद हैं। लेकिन अब भी प्रमाण पत्र जारी नहीं हुआ और शेष 20,000 रुपये की मांग की जा रही है।
इतना ही नहीं, जब इस पूरे मामले में गवाहों ने आवाज उठाई तो उन्हें सरपंच और उसके लोगों द्वारा गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी तक दी गई। एक गवाह ने डर के कारण गांव छोड़कर छिपना पड़ा। पीड़ित परिवार ने बताया कि धमकी से जुड़ा वीडियो भी वायरल हुआ है।
पीड़ित पक्ष ने भंवरपुर चौकी में आवेदन देकर मृतक की घटना का पूरा विवरण दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने “एक साल से ज्यादा वक्त गुजर जाने पर गुम इंसान की रिपोर्ट दर्ज नहीं करने” का हवाला देते हुए आवेदन लेने से इनकार कर दिया।
अब परिजन ने जनपद पंचायत बसना के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को लिखित शिकायत देकर न्याय की गुहार लगाई है। गरीब परिवार की यह पीड़ा सिर्फ एक प्रमाण पत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक तंत्र की संवेदनहीनता और भ्रष्टाचार की गहरी तस्वीर भी बयां करती है।
मामले मे पंचायत सचिव को पक्ष जानने दूरभाष के माध्यम से कई बार सम्पर्क किया गया घंठी बजती रही ओ फोन नहीं उठाये!