बसना ब्लॉक छात्रावास विवाद: छात्राओं से अश्लील वीडियो दिखाने व टॉर्चर का आरोप, विभागीय जांच पूरी पर कानूनी कार्रवाई अब भी लंबित
महासमुंद।
जिले के बसना ब्लॉक स्थित आदिवासी छात्रावास में पदस्थ शिक्षिका एवं छात्रावास अधीक्षक गीता पटेल पर गंभीर और चौंकाने वाले आरोप लगे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी के पास शिकायत और मीडिया छपी रिपोर्ट में अधीक्षक पर अश्लील वीडियो दिखाने, जबरन मालिश कराने, कपड़ों से साफ-सफाई करवाने और मानसिक व शारीरिक टॉर्चर करने जैसे गंभीर कृत्यों का आरोप लगाया गया है खबर प्रकाशन के बाद जांच के आदेश हुआ उसके बाद एक टीम ने जांच की जिसमें खण्ड प्रभारी रोहित पटेल भी थे
यह शिकायत सीधे जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को सौंपी गई, जिसके बाद मामला मीडिया में आने पर विभागीय हलकों में हलचल मच गई। शिकायत के बाद जिला छात्रावास विभाग की प्रभारी अधिकारी शिल्पा साय को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई।
विभागीय जांच और कार्रवाई
सूत्रों के मुताबिक, शिल्पा साय के नेतृत्व में गठित टीम ने छात्रावास का दौरा किया और छात्राओं से पूछताछ की। जांच रिपोर्ट में गीता पटेल पर लगे आरोपों को गंभीर माना गया। इसके बाद उन्हें बसना ब्लॉक के खोखसा छात्रावास से हटाकर मूल शाला में पदस्थ कर दिया गया है चुकी वे प्रभार थे अधीक्षिका नहीं
हालांकि यह कार्रवाई केवल स्थानांतरण तक सीमित रही। ट्रायबल विभाग की प्रभारी शिल्पा साय ने मीडिया को बताया कि “जांच हो चुकी है और आरोपी अधीक्षक को छात्रावास से हटा दिया गया है।” कार्यवाही को लेकर पूछने पर उन्होंने इस पर चुप्पी साध ली कि कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही।
शिकायत पर शिक्षा विभाग का रुख
जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि “शिकायत हमारे पास आई थी। लेकिन चूंकि घटना छात्रावास से संबंधित है, इसलिए जांच और कार्रवाई का अधिकार ट्रायबल विभाग का है। हमने उन्हें पत्र लिखकर निर्देशित किया है।”
वहीं, जब मीडिया ने शिल्पा साय से इस मुद्दे पर फोन से चर्चा करने की कोशिश की, तो उनका फोन लगातार बजता रहा लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।
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मामले सरायपाली विधायक चातुरी नंद ने कहा की जीस तरह से आरोप लगाए गए है आरोप अगर सही है तो सिर्फ तबादला कर देना उचित नहीं है नियमानुसार पास्को एक्ट के तहत अधिक्षिका के ऊपर कार्यवाही होनी चाहिए!
कानूनी कार्रवाई पर उठे सवाल
जांच रिपोर्ट आने के बाद गीता पटेल को केवल छात्रावास से हटाना और किसी दूसरे स्कूल में पदस्थ करना स्थानीय लोगों को “मामले को दबाने का प्रयास” प्रतीत हो रहा है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं, समाज के बुद्धिजीवियों और कई वकीलों ने इसे गंभीर अपराध बताया है। उनका कहना है कि –
आरोप केवल विभागीय जांच तक सीमित नहीं किए जा सकते।
यह मामला यौन उत्पीड़न, बाल संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) और आईटी एक्ट के तहत दर्ज हो सकता है।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं और वकीलों ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कहा कि “सरकारी विभाग केवल स्थानांतरण कर मामले को रफा-दफा कर रहा है, जबकि ऐसे मामलों में निष्पक्ष कार्यवाही होना चाहिए
अधिकारियों की चुप्पी बढ़ा रही शंका
मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब आरोप अश्लील वीडियो दिखाने और टॉर्चर जैसे गंभीर अपराधों से जुड़े हैं, तब भी क्यों विभाग ने अब तक जाँच कार्यवाही कर मामला FIR दर्ज नहीं की और ना ही जांच कि मांग
जिला शिक्षा विभाग विजय लहरे अधिकारी कहते है कि जिम्मेदारी आदिम जाती कल्याण विभाग की है, घटना छात्रावास में हुआ है जबकि आदिम जाती कल्याण विभाग विभाग इस पर बोलने से बच रहा है। अधिकारियों की यह चुप्पी मामले को और संदिग्ध बना रही है।
शिकायत पर कार्रवाई के नाम पर केवल स्थानांतरण कर देना न तो समाधान है और न ही न्याय। यह मामला केवल प्रशासनिक कार्रवाई नहीं, बल्कि कानूनी अपराध है
अब देखना होगा कि जिला प्रशासन और आदिम जाती कल्याण विभाग इस मामले में आगे क्या कदम उठाते हैं। क्या आरोपित अधीक्षक पर कानूनी कार्रवाई होगी या यह मामला विभागीय जांच और तबादले तक ही सीमित रह जाएगा?