Friday, August 1, 2025
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महासमुंद/संकल्प से सफलता तक : महिला समूह ने बदली परिवार की जीवन की दिशा

महासमुंद/संकल्प से सफलता तक : महिला समूह ने बदली परिवार की जीवन की दिशा

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महासमुंद / जिला मुख्यालय महासमुंद के वार्ड क्रमांक 11 की रहने वाली एक साधारण लेकिन संकल्पित महिला ने दिखाया कि यदि इच्छाशक्ति मजबूत हो और अवसर का सही उपयोग किया जाए, तो कोई भी परिवार आत्मनिर्भर बन सकता है।

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की सीओ श्रीमती प्रेमशीला ने बताया कि गरीब परिवारों की 10 महिलाओं का यह स्वयं सहायता समूह छोटे-छोटे व्यवसायों के माध्यम से अपनी आजीविका चला रहा था। शासन की योजनाओं के तहत इन्हें बैंक से 3 लाख रुपये का ऋण दिलवाया गया ताकि वे अपने व्यवसाय को सशक्त बना सकें। इन्हीं में से एक महिला सदस्य श्रीमती गंगा बाई निर्मलकर ने यह ऋण लेकर अपने परिवार की स्थिति बदलने का प्रयास किया।

उनके पति श्री दूजराम निर्मलकर मूलतः ड्राई क्लीनर का कार्य करते थे। और वो खुद अपने पति का हाथ बटाती थी। उनके पति पुराने टू-व्हीलर से वे घर-घर जाकर कपड़े एकत्र करते थे, जो बरसात और धूल के कारण खराब हो जाते थे। इससे उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था और ग्राहक भी असंतुष्ट रहते थे। इस स्थिति को बदलने के लिए उनकी पत्नी श्रीमती गंगा बाई निर्मलकर ने महिला समूह के माध्यम से बैंक से मिले ऋण का उपयोग कर एक इलेक्ट्रॉनिक ई-रिक्शा खरीदा और घर-घर जाकर प्रेस के कपड़े उसी ई-रिक्शा से एकत्र करने लगे। जिससे न सिर्फ कपड़ों की सुरक्षा होती है बल्कि कार्यक्षमता भी बढ़ी है। ई-रिक्शा से समय बचने पर श्री दूजराम स्कूलों में बच्चों को लाने-ले जाने, शिक्षकों को पहुंचाने जैसे सवारी कार्य भी करने लगे हैं, जिससे उनकी आय में इज़ाफा हुआ है। आज वे हर महीने 5 से 6 हजार रुपए तक की आय कर लेते हैं। वहीं, उनकी पत्नी प्रेस और ड्रायक्लीन के काम से 7-8 हजार रुपए तक कमा रही हैं। इस दंपति ने मिलकर यह सिद्ध किया है कि सही मार्गदर्शन, समूह की शक्ति और शासन की योजनाओं का लाभ लेकर एक गरीब परिवार भी आत्मनिर्भरता की मिसाल बन सकता है। वे न केवल अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे पा रहे हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को भी समूह से जुड़ने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

समूह के माध्यम से उन्हें प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, स्वास्थ्य बीमा, अटल पेंशन योजना जैसी योजनाओं का भी लाभ मिला है। नियमित बचत, समय पर लोन की वापसी, बैंक से संवाद, और अन्य वित्तीय गतिविधियों में अब वे कुशल हो चुके हैं। दूजराम निर्मलकर का कहना है कि आज मेरी पत्नी ने महिला समूह से जुड़कर बैंक से ऋण लिया और हमारे परिवार की स्थिति को सशक्त किया। हर महिला ऐसा ही प्रयास करे, समूह से जुड़ें, और अपने जीवन में परिवर्तन लाएं यही सच्ची आत्मनिर्भरता है।

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