सरायपाली से शंकर लहरे की खबर शिक्षा का अधिकार बच्चों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण माहौल में पढ़ाई का अवसर देने की बात करता है, परंतु महासमुंद जिले के सरायपाली ब्लॉक अंतर्गत गोहरापाली गांव में संचालित आनंद कुंज इंग्लिश मीडियम स्कूल में ये सब बातें सिर्फ कागजों तक सीमित नजर आती हैं। यहां बच्चों की पढ़ाई एक ऐसे भवन में चल रही है, जो खुद जर्जर अवस्था में है, और बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने के लिए जिस वाहन का उपयोग किया जा रहा है, उसे देखकर किसी भी अभिभावक के मन में डर बैठ जाए।
गोहेरापाली स्थित यह निजी स्कूल पुराने भवन को मरम्मत कर संचालित किया जा रहा है। भवन की दीवारें कमजोर हैं, छत पर सीमेंट की चादरें बिछाई गई हैं, और लकड़ी के पुराने सहारों से ढांचा किसी तरह टिकाए रखा गया है। एक ओर का दरवाजा पूरी तरह टूट चुका है, जिसे जुगाड़ कर किसी तरह लगाया गया है। बारिश के दिनों में यह स्थिति और भी भयावह हो जाती है।
जानकारी के अनुसार, स्कूल में लगभग 54 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से 20 से अधिक बच्चे रोजाना एक मिनी वाहन से स्कूल आते-जाते हैं। लेकिन यह वाहन किसी मानक स्कूल बस जैसा नहीं है। वाहन पर न तो नंबर प्लेट लगी है, न ही कोई स्कूल बस का संकेत बोर्ड। अंदर न तो बच्चों के बैठने की सुरक्षित व्यवस्था है, न ही कोई हेल्पर या अटेंडर मौजूद रहता है। बच्चे खुद अपने बैग ऊपर चढ़ाकर रखते हैं और उतरते समय खुद ही संभलते हैं। यह दृश्य किसी कबाड़ी वाहन जैसा प्रतीत होता है।
मिनी बस के संचालक द्वारा मॉडिफाई करवाई गई है ताकि उसमें अधिक बच्चों को ठूंसा जा सके। बच्चों को अक्सर तंग जगह में बैठाया जाता है। न कोई सीट बेल्ट, न दरवाजे पर लॉक सिस्टम — दुर्घटना की स्थिति में परिणाम भयावह हो सकते हैं।
इस पूरे मामले ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर शिक्षा विभाग और परिवहन विभाग ऐसे स्कूलों और वाहनों को कैसे अनुमति दे देते हैं? या फिर यह सब बिना जानकारी के चल रहा है? यदि समय रहते प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया, तो किसी दिन एक बड़ी दुर्घटना इस लापरवाही की गवाही दे सकती है
वही मामले मे ब्लॉक शिक्षा अधिकारी टीकम चंद पटेल मौक़े पर जाकर निरिक्षण करूँगा उसके बाद ही कुछ कह सकता हु