मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी की पहल पर शुरू हुआ डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र अभियान 4.0 पेंशनरों के लिए राहत और सुविधा
छत्तीसगढ़ राज्य के पेंशनरों के लिए राहत और सुविधा की बड़ी सौगात मिली है। अब उन्हें जीवन प्रमाण पत्र बनवाने के लिए बैंकों या सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की मंशानुरूप और वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी के प्रयासों से प्रदेश में डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र अभियान 4.0 की शुरुआत की जा रही है। यह अभियान केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ शासन के संयुक्त सहयोग से 1 नवंबर से 30 नवंबर 2025 तक चलेगा।
इस अभियान के तहत पेंशनर अब घर बैठे ही मोबाइल ऐप के माध्यम से जीवन प्रमाण पत्र तैयार कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें अपने एंड्रॉइड मोबाइल फोन में आधार फेस आरडी और जीवन प्रमाण फेस ऐप डाउनलोड कर, चेहरे की पहचान (Face Authentication) के जरिए प्रमाण पत्र बनाना होगा। यह तकनीक पूरी तरह सुरक्षित, पारदर्शी और सरल है, जिससे वरिष्ठ नागरिकों को अपने घर के आरामदायक माहौल में सुविधा मिलेगी।
रायगढ़ जिले में जिला प्रशासन ने इस अभियान के क्रियान्वयन की पूरी तैयारी कर ली है। जिले के सभी पेंशनरों तक यह सुविधा पहुंचाने के लिए विशेष शिविर आयोजित किए जाएंगे। रायगढ़, खरसिया और एडीबी रायगढ़ सहित जिले के सात प्रमुख स्थानों पर जीवन प्रमाण पत्र शिविर लगाए जाएंगे, जिनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की टीमें पेंशनरों की सहायता करेंगी।
जिन पेंशनरों को मोबाइल ऐप का उपयोग करने में कठिनाई है, वे अपने नजदीकी बैंक या पोस्ट ऑफिस जाकर फेस ऑथेंटिकेशन के माध्यम से प्रमाण पत्र बनवा सकेंगे। वहीं, 80 वर्ष या उससे अधिक आयु के पेंशनरों को अक्टूबर माह से ही प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, जो पेंशनर स्वास्थ्य कारणों या अन्य परिस्थितियों के चलते घर से बाहर नहीं जा सकते, उनके लिए होम विजिट सुविधा उपलब्ध कराई गई है। बैंक या पोस्ट ऑफिस की टीमें उनके घर पहुंचकर जीवन प्रमाण पत्र तैयार करेंगी।
यह अभियान भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के समन्वय में संचालित होगा। राज्य स्तर पर वित्त विभाग और संचालनालय पेंशन एवं भविष्य निधि, रायपुर द्वारा सभी आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। इस डिजिटल अभियान का उद्देश्य पेंशनरों के जीवन को सरल, सम्मानजनक और आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि उन्हें सरकारी प्रक्रियाओं के लिए किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।



