महासमुंद/26 नवंबर संविधान दिवस संविधान दिवस के अवसर पर साइबर सुरक्षा जागरूकता पर आधारित कार्यशाला संपन्न संविधान के उद्देशिका का किया गया सामूहिक वाचन
महासमुंद/ छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशानुसार एवं स्टेट प्लान आफ एक्शन के तहत विशेष दिवस पर किए जाने वाले कार्यक्रम के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण महासमुंद की अध्यक्ष एवं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती अनिता डहरिया के मार्गदर्शन पर आज ’’संविधान दिवस’’ 26 नवंबर के अवसर पर जिला न्यायालय महासमुंद के सभाकक्ष विधिक जागरूकता पर अधारित साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, महासमुंद की सचिव श्रीमती आफरीन बानो ने बताया कि संविधान दिवस के अवसर पर जिला न्यायालय महासमुंद के सभाकक्ष में एक विशेष साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रीय गान तथा भारतीय संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक वाचन से हुई।
कार्यक्रम में साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में गुप्तेश आचार्य ने साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौतियों और डिजिटल सुरक्षा के उपायों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आधुनिक डिजिटल युग में फिशिंग, न्च्प् धोखाधड़ी, व्ज्च् फ्रॉड, सोशल मीडिया खाते हैक होना, बैंकिंग जानकारी की चोरी, ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग जैसे साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, जिनसे बचने के लिए जागरूकता ही सर्वोत्तम रक्षा है। अनजान कॉल, लिंक या मैसेज पर तुरंत प्रतिक्रिया न दें। ओटीपी एवं पिन या पासवर्ड और बैंक विवरण किसी के साथ साझा न करें। केवल सत्यापित और आधिकारिक ऐप एवं वेबसाइट का प्रयोग करें। किसी भी साइबर अपराध की स्थिति में तुरंत 1930 हेल्पलाइन या बलइमतबतपउमण्हवअण्पद पर शिकायत दर्ज करें। इस प्रकार भारतीय स्टेट बैंक महासमुंद ब्रॉच के हेड मैनेजर श्री प्रवीण जैन द्वारा बैंकिंग क्षेत्र में साइबर सुरक्षा के लिए अपनाए जा रहे उपायों तथा ग्राहकों को सुरक्षित लेन-देन के लिए जागरूक करने के बैंक के प्रयासों के बारे में बताया गया। उक्त अवसर पर कार्यक्रम का मंच संचालन लीगल एड डिफेंस कौसिल सिस्टम के डिप्टी श्री सलीम कुरैशी द्वारा किया गया।
इसी प्रकार कार्यक्रम अवसर पर प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती अनिता डहरिया द्वारा अपने उद्बोधन में संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों एवं कर्तव्यों के बारे में जानकारी देते हुए संविधान की महत्ता को बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 1949 का दिन बेहद यादगार और ऐतिहासिक था। यह वह दिन था जब भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ था और भारत ने संविधान को अपनाया था। यह देश का सर्वोच्च कानून है जो एक लोकतांत्रिक ढ़ांचा स्थापित करता है, नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है और सरकार के अंगो के बीच शक्तियों का संतुलन सुनिश्चित करता है तथा सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है एवं राष्ट्रीय एकता बनाए रखता है।
नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा, समाज में न्याय, स्वतंत्रता और समानता सुनिश्चित करता है। इस अवसर पर प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सुश्री संघपुष्पा भतपहरी, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एफटीसी) श्रीमती मोनिका जायसवाल, द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश श्री आनंद बोरकर, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुश्री चेतना ठाकुर, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष श्री अनिल शर्मा, लीगल एड डिफेंस कौसिल सिस्टम के चीफ श्री अरूण पटेल, सहित अन्य न्यायिक अधिकारीगण, अधिवक्ता संघ के पदाधिकारीगण, एलएडीसीएस के अधिवक्तागण, न्यायिक कर्मचारी गण एवं विभिन्न आरक्षी केन्द्रों में पदस्थ अधिकार मित्र उपस्थित रहे।


