बसना सरायपाली -/ जंगलों के कई पेड़ों में अवैध रूप से विज्ञापन पेड़ों को खतरा है, बावजूद इसके वन विभाग इन विज्ञापनदाताओं पर किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है. क्या विभाग ऐसे विज्ञापन लगाने की अनुमति देता है ?
हेमन्त वैष्णव
सरायपाली – बसना : चंद पैसे बचाने के चक्कर में चिंदी वाले काम, पेड़ों की ले रहे जान, विभाग बना मुखदर्शक… जाने क्या है मामला.

वैसे तो शासन-प्रशासन पेड़ और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च करती है, वातावरण अनुकूल बने रहे इसके लिए नि:शुल्क पौधे का भी वितरण करवाती है. इनमे से ना जाने लगाये जाने के बाद कितने ही पौधों की जन्दगी बचती होगी. बावजूद इसके लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हो इसके लिए शासन और वन विभाग दोनों ही काफी प्रचार प्रसार करते हैं.

बावजूद इसके कई लोग पर्यावरण के दुश्मन बने हुए हैं, और चन्द पैसे बचाने के चक्कर में चिंदी जैसे काम कर पेड़ों की जान लेने पर तुले हैं. इसके सबसे हैरत करने वाली बात यह है कि यह सब वन विभाग के आखों के सामने हो रहा है, और कथित रूप से शहर में प्रतिष्ठित कहलाने वाले लोग यह चिंदी जैसा घिनौना काम कर रहे हैं.
मामला महासमुंद जिले अंतर्गत बसना वन विभाग का है, जहाँ गढ़फुलझर क्षेत्र के जंगलों के कई पेड़ों में अवैध रूप से विज्ञापन देखने को मिल रहे हैं, जिससे की इन पेड़ों को खतरा है, बावजूद इसके वन विभाग इन विज्ञापनदाताओं पर किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है. क्या विभाग ऐसे विज्ञापन लगाने की अनुमति देता है ? या फिर इन विज्ञापनदाताओं के विज्ञापन के बदले इनसे कार्यवाही ना करने की एवज में किसी तरह की कोई मोटी रकम लेता है ?