Tuesday, September 9, 2025
धर्म कर्म और इतिहासChandra Grahan 2025: आज लगेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, जानें समय,...

Chandra Grahan 2025: आज लगेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, जानें समय, सूतक काल और राशि पर प्रभाव

Chandra Grahan 2025: आज लगेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, जानें समय, सूतक काल और राशि पर प्रभाव

WhatsApp Image 2025-08-01 at 10.11.16_1ce91489
WhatsApp Image 2025-08-01 at 09.59.00_240c1c96
WhatsApp Image 2025-08-01 at 09.57.31_1609a3ec

 

वैदिक ज्योतिष अनुसार समय-समय पर चंद्र और सूर्य ग्रहण पड़ते हैं। जिसका प्रभाव मानव जीवन और देश- दुनिया पर देखने को मिलता है। इस बार चंद्रग्रहण (Chandra Grahan 2025) सात सितंबर रविवार की रात को भाद्रपद मास की पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है। यह चंद्रग्रहण समूचे यूरोप, एशिया, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अफ्रीका के साथ-साथ उत्तर और दक्षिण अमेरिका के पूर्वी क्षेत्रों में दिखाई देगा। साथ ही भारत में भी दृश्य रहेगा।

नहीं होंगे शुभ-मांगलिक कार्य

ज्योतिषाचार्य व वास्तुविद् पंडित सौरभ दुबे ने बताया कि चंद्र ग्रहण पूर्णिमा को तो वहीं सूर्य ग्रहण अमावस्या को ही लगता है। चंद्र ग्रहण हिंदू धर्म की अशुभ अवधि माना जाता है, जिसमें शुभ-मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। साथ ही इस समय सभी तरह की यात्राएं करना भी वर्जित होता है, क्योंकि इसके अशुभ प्रभाव से जातकों को नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। इस बार चंद्रग्रहण कुंभ राशि में लगने जा रहा है। जहां पहले से ही राहु विराजमान हैं।

ऐसे में राहु और चंद्रमा की युति कुंभ राशि में रहेगी जबकि सूर्य और केतु की युति कन्या राशि में होगा और दोनों एक दूसरे से समसप्तक भाव में रहेंगे और सप्तम दृष्टि डालेंगे। जिसका प्रभाव देश और दुनिया पर दिखाई देगा। पहाड़ी क्षेत्रों में और प्राकृतिक आपदा आ सकती है। राजनीतिक एवं भौगोलिक बदलाब देखने को मिल सकते है, मौसम का प्रतिकूल प्रभाव भी देखने को मिलेगा। चंद्रग्रहण का प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर देखने को मिलेगा।

किन राशियों के लिए शुभ, किनके लिए अशुभ

ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद् पंडित सौरभ दुबे के अनुसार इस चंद्रग्रहण के दौरान ग्रहों के बहुत ही विचित्र संयोग बन रहा है। सूर्य और केतु की युति सिंह राशि में रहेगी। वहीं, राहु और चंद्रमा की युति इस दिन कुंभ राशि में होगा। ऐसे में राहु और चंद्रमा की युति होने से ग्रहण योग बनेगा। वहीं, सूर्य और केतु की युति से भी ग्रहण योग बना है। ऐसे में डबल ग्रहण योग का प्रतिकूल प्रभाव देश, दुनिया और राशियों पर दिखाई देगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों की ऐसी स्थिति के बीच पहाड़ी क्षेत्रों में इस दौरान भारी बारिश और प्राकृतिक आपदाएं घटित हो सकती हैं। चंद्रग्रहण का असर कर्क, वृश्चिक, कुम्भ, मीन, मिथुन और सिंह राशि वालों पर बुरा असर दिखेगा, कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। वही धनु, तुला, कन्या, वृष, मेष मकर राशि वालो पर शुभ प्रभाव दिखेगा।

इस तरह होगा सूतक काल

पंडित सौरभ दुबे के अनुसार खग्रास चंद्र ग्रहण रविवार सात सितंबर 2025 को पूर्वाभाद्र नक्षत्र कुंभ राशि पर दृश्य होगा। भारतीय समय के अनुसार रात्रि 9:57 पर स्पर्श कल होगा। रात्रि 11:40 पर मध्यकाल होगा तथा रात्रि 1:26 पर खग्रास चंद्र ग्रहण का मोक्ष होगा। यह ग्रहण भारत के साथ-साथ अब देश रूस जापान आस्ट्रेलिया म्यांमार पाकिस्तान आदि देशों में दृश्य होगा। ग्रहणकाल का सूतक रविवार सात सितंबर को दिन में 12:57 से प्रारंभ होगा। यह सूतक तीन प्रहर (नौ घंटे) पहले प्रारंभ होगा। बालक, वृद्ध और रोगियों के लिए सूतककाल शाम 6:37 से मानना चाहिए।

गर्भवती महिलाएं बरतें सावधानी

चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को किसी भी तरह की नुकीली चीज जैसे सुई, धारदार कैंची या चाकू आदि का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। साथ ही चंद्र ग्रहण को नग्न आखों से न देखें। साथ ही यह भी सलाह दी जाती है कि सूतक लगने के बाद गर्भवती स्त्री को कहीं बाहर नहीं जाना चाहिए, विशेषकर किसी नकारात्मक जगह जैसे श्मशान आदि पर। अगर आप इस सभी बातों का ध्यान रखते हैं, तो इससे गर्भ में पल रहा शिशु नकारात्मक प्रभावों से बचा रहता है।

क्या करें और क्या न करें

ग्रहण काल में शास्त्रीय वचनानुसार धार्मिक कृत्य, श्राद्ध, चावल, दूध, दही, वस्त्र, सफेद वस्तु आदि का दान करना चाहिए। ग्रहण में जपा गया मंत्र सिद्धप्रद होता है। पूजा, हवन, यज्ञ, मूर्ति स्थापना, विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य न करें। सूतक काल में भोजन पकाना या खाना नहीं चाहिए। बाल कटवाना, नाखून काटना, दाढ़ी बनाना या अन्य शारीरिक शुद्धिकरण के कार्य नहीं करने चाहिए। भगवान का नाम जपें, जैसे ओम नमो भगवते वासुदेवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं।

आज ही कर दें गणपति विसर्जन

पंडित सौरभ दुबे के अनुसार श्री गणेश प्रतिमा का विसर्जन भी अनंत चतुर्दशी तिथि के दिन ही कर देना चाहिए। शनिवार छह सितंबर को अनंत चतुर्दशी है और सात सितंबर को पूर्णिमा तिथि और ग्रहण का सूतक प्रारम्भ हो जाएगा। ऐसी स्थिति में ग्रहण काल में मूर्ति को पंडालून में ना रखते हुए उसका विसर्जन कर देना चाहिए जिस किसी भी प्रकार का दोष उन मूर्तियों में ना लगे और हमारी आस्था पर भी किसी प्रकार का भी आक्षेप न लगे।

spot_img
spot_img
WhatsApp Image 2025-08-01 at 09.58.59_16c64a20
WhatsApp Image 2025-08-01 at 09.58.59_3be423df
WhatsApp Image 2025-08-01 at 09.59.00_bcc6eb55
WhatsApp Image 2025-08-01 at 09.59.01_9614af11
WhatsApp Image 2025-08-01 at 09.59.00_94b98c37
WhatsApp Image 2025-08-01 at 09.59.01_6e96dcfe
RECENT POSTS

बसना ग्राम उतेकेल पड़ोसी विवाद में मारपीट और गाली-गलौज, महिला के साथ बदसलूकी का आरोप बसना। थाना क्षेत्र के ग्राम उतेकेल में रविवार सुबह पड़ोसी...

हेल्थ प्लस

सरायपाली में विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता,कल 9 सितम्बर को मरीजों को मिलेगा लाभ अग्रवाल नर्सिंग होम के विशेषज्ञ डॉक्टर अब सरायपाली में भी उपलब्ध...

सरायपाली में विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता,कल 9 सितम्बर को मरीजों को मिलेगा लाभ अग्रवाल नर्सिंग होम के विशेषज्ञ डॉक्टर अब सरायपाली में भी उपलब्ध...