रायपुर में ‘अंधविश्वास या चमत्कार से इलाज’ का दावा, इंडियन ड्रग एंड मैजिक रेमेडी एक्ट के तहत 54 बीमारियाँ ऐसी हैं जिनके बारे में “चमत्कार से ठीक करने” का दावा करने पर सज़ा का प्रावधान है लेकिन शासन प्रशासन ऐसे अंधविश्वास के खिलाड़ियों को लेकर सख्त नहीं है कुकरबेड़ा इलाके के होम चर्च में मिनी चंगाई सभा, तेल-पानी से बीमारी ठीक करने का दावा; बजरंग दल और स्थानीयों ने जताया विरोध
रायपुर | राजधानी रायपुर के कुकरबेड़ा इलाके में रविवार को एक होम चर्च में ‘यशु-यशु स्टाइल’ में चमत्कार से इलाज का दावा किया गया। पास्टर ने एक युवक के हाथ पर तेल लगाकर प्रार्थना की और कुछ देर बाद उसका हाथ ऊपर उठ गया। यह नज़ारा देख भीड़ “हलेलुया” के जयकारों से गूंज उठी। इसी घटना का वीडियो सामने आने के बाद इलाके में विवाद बढ़ गया है।
दैनिक भास्कर खबर की माने तो स्थानीय लोगों और हिंदू संगठनों का आरोप है कि इस तरह की ‘मिनी चंगाई सभाओं’ के जरिए लोगों को बरगलाकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। वहीं, चर्च में आने वाली महिलाएं कह रही हैं कि वे अपनी मर्जी से प्रेयर के लिए आती हैं और किसी तरह का धर्म परिवर्तन नहीं हुआ है।
विवाद की शुरुआत
10 अगस्त को मोहल्लेवासियों ने आरोप लगाया था कि कुकरबेड़ा स्थित इस होम चर्च में पैसों और बिजनेस का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है। विरोध के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर एक महिला और दो युवकों को थाने ले जाकर पूछताछ की थी। फिलहाल, चर्च का वह कमरा पुलिस ने सील कर दिया है।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
पूजा ध्रुव का कहना है कि वे हिंदू होते हुए भी यीशु पर विश्वास करती हैं और प्रेयर से स्वास्थ्य लाभ हुआ है।
हर्षिता निहाल ने आरोप लगाया कि तेल-पानी से इलाज का दावा किया गया, लेकिन फायदा न मिलने पर उन्होंने चर्च जाना बंद कर दिया।
कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हें 5 लाख रुपये, राशन और बिजनेस खोलने तक का लालच दिया गया।
बजरंग दल और VHP की प्रतिक्रिया
बजरंग दल का कहना है कि तेल-पानी से चमत्कार दिखाकर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है और धर्म बदलने के लिए उकसाया जा रहा है। हालांकि, संगठन ने अश्लील इशारों के आरोप से इंकार किया है।
वहीं, विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि “इलाके में पहले से चर्च मौजूद हैं, लेकिन होम चर्च खोलकर पैसों और चमत्कार के नाम पर धर्मांतरण कराया जा रहा है।”
बड़ा परिप्रेक्ष्य
छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ सालों से धर्मांतरण को लेकर टकराव बढ़ा है। 2021 से अब तक प्रदेश में 104 बार हिंदू और ईसाई समाज आमने-सामने आए हैं। 44 FIR दर्ज हुई हैं, जिनमें 23 मामले पिछले एक साल के भीतर दर्ज किए गए। कोरबा, महासमुंद, दुर्ग और बिलासपुर जैसे जिले हॉटस्पॉट बने हुए हैं।