बसना : बिजली कटने पर अटक रहा इलेक्ट्रॉनिक कांटे से चावल वितरण उचित मूल्य दुकान में ग्रामीणों की बढ़ी परेशानी,
छत्तीसगढ़ सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को पारदर्शी बनाने और गड़बड़ियों पर रोक लगाने के उद्देश्य से राज्यभर की उचित मूल्य दुकानों में इलेक्ट्रॉनिक कांटा और अंगूठा सत्यापन प्रणाली (थंब ऑथेन्टिकेशन) लागू की है। नई तकनीक से अब अनाज का सही-सही वजन और पात्र उपभोक्ताओं की पहचान सुनिश्चित हो रही है। लेकिन यह व्यवस्था ग्रामीण अंचलों में बड़ी चुनौती भी बन गई है, क्योंकि यहाँ बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या अक्सर वितरण कार्य को बाधित कर देती है।
बसना ब्लॉक के ग्राम पंचायत उमरिया की उचित मूल्य दुकान, जिसे विक्रेता खिरोद पटेल संचालित कर रहे हैं, वहाँ यह समस्या लगातार सामने आ रही है। ईस पंचायत मे 829 कार्ड है
इतने बड़े पैमाने पर लोगों को जब बिजली और नेटवर्क की वजह से राशन नहीं मिल पाता, तो उनकी परेशानी कई गुना बढ़ जाती है।
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बिजली जाते ही ठप हो जाता है कांटा
गाँव उमरिया के ग्रामीण बताते हैं कि जैसे ही बिजली जाती है, इलेक्ट्रॉनिक कांटा बंद हो जाता है और राशन वितरण रुक जाता है। पहले जब मैनुअल कांटे से अनाज तौला जाता था, तब बिजली की कोई आवश्यकता नहीं थी। लेकिन अब नई प्रणाली पूरी तरह से बिजली और नेटवर्क पर निर्भर हो गई है। बरसात और गर्मी के दिनों में जब बिजली कटौती ज्यादा होती है, तब समस्या और गहरी हो जाती है।
ग्रामवासी मे एक रासन कार्ड धारी उमेश कहते हैं –
“सुबह-सुबह राशन लेने पहुँचते हैं, लेकिन बिजली जाते ही मशीन बंद हो जाती है। घंटों खड़े रहो और अंत में हाथ खाली करके लौट आओ। हमें कई बार अगले दिन फिर से आना पड़ता है।”
इसी तरह ग्रामीण परसु मिरि कहते है की कई महिलाए बच्चों को लेकर लाइन में खड़े रहते हैं। कभी मशीन नहीं चलती, तो कभी नेटवर्क नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में हमें बहुत दिक्कत होती है। पहले हाथ कांटे से काम जल्दी हो जाता था।”
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नेटवर्क न मिलने से थंब मशीन भी फेल
केवल बिजली ही नहीं, बल्कि इंटरनेट कनेक्टिविटी भी ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बन गई है। थंब मशीन को उपभोक्ता का आधार नंबर और फिंगरप्रिंट सत्यापित करने के लिए नेटवर्क की आवश्यकता होती है। कई बार नेटवर्क न मिलने पर घंटों तक एक भी लाभार्थी का सत्यापन नहीं हो पाता।
ग्रामीणों का कहना है की
“कभी-कभी मशीन तो चालू रहती है लेकिन नेटवर्क नहीं आता। एक अंगूठा मिलाने में 5–5 मिनट लग जाते हैं। इस वजह से लाइन में लगे सैकड़ों लोगों को घंटों इंतज़ार करना पड़ता है।”
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विक्रेता की मजबूरी
क्या विभाग द्वारा तय किए गए मसीनो मे इतना भी क्षमता नहीं की ओ 2 घंठे भी वितरण कार्य को नहीं चला पा रहे है जाँच की आवश्यकता है
उचित मूल्य दुकान संचालक खिरोद पटेल का कहना है कि बिजली और नेटवर्क की समस्या से वे भी परेशान हैं। “हमें विभाग से केवल इलेक्ट्रॉनिक कांटा और थंब मशीन मिली है। बिजली जाते ही कांटा बंद हो जाता है
और कई बार कम नेटवर्क के कारण थंब वेरिफिकेशन संभव नहीं हो पाता है हम चाहकर भी वितरण नहीं कर सकते। ग्रामीण नाराज़ होते हैं लेकिन यह हमारी मजबूरी है।”
विक्रेता खिरोद पटेल ने बताया कि कांटा मशीन लगभग एक माह से खराब है। उन्होंने कहा कि कांटा और थंब मशीन खाद्य विभाग द्वारा प्रदान की गई है लेकिन किस कंपनी का है यह उन्हें पता नहीं है। मशीन खराब होने पर उन्होंने स्वयं इसे ठीक कराने की कोशिश की, क्योंकि विभाग की ओर से किसी को सुधारने के लिए नहीं भेजा गया।
खिरोद पटेल ने यह भी कहा कि जब से नया थंब मशीन मिला है, तब से इंटरनेट की गति पहले के मुकाबले तेज हो गई है। उन्होंने बताया कि उमरिया उचित मूल्य दुकान के अंतर्गत 829 कार्ड हैं, जिनके माध्यम से प्रतिदिन लगभग 100 हितग्राहियों को वितरण किया जा सकता है। लेकिन कई कारणों से सभी हितग्राही समय पर नहीं आते, इसलिए उन्हें बार-बार बुलाना पड़ता है।
वहीं, बसना फूड इंस्पेक्टर हेमंत वर्मा ने इस घटना को प्रारंभ में मामूली बताया और कहा कि यह मामला मुख्यतः विद्युत विभाग का है। उन्होंने कहा कि यदि विद्युत विभाग के लोग सही तरीके से विद्युत आपूर्ति करते, तो ऐसी समस्या नहीं होती।
जब हेमंत वर्मा से यह पूछा गया कि क्या सरकार द्वारा तय किए गए इलेक्ट्रिकल कांटा और थंब मशीन में बैटरी बैकअप इतना भी नहीं है कि यह एक-दो घंटे तक काम कर सके, तो उन्होंने कहा कि बैटरी केवल कुछ समय के लिए चलती है। बैकअप की अवधि के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाए। जब उनसे पूछा गया कि क्या बैटरी सहकारी समिति खरीदती है या विभाग, तो उन्होंने कहा कि एक कंपनी को टेंडर दिया गया है, लेकिन नाम नहीं बता पाए। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि वह कंपनी को मशीन सुधारने बोल दिया जाएगा
वहीं जब इस संबंध में जिला खाद्य अधिकारी अजय यादव से बात की गई तो उन्होंने कहा –
“मामले की जांच करवाई जा रही है। ऐसा नहीं होना चाहिए। यदि इलेक्ट्रॉनिक कांटे या थंब मशीन में तकनीकी गड़बड़ी है या बैटरी की समस्या है तो तत्काल बदलवा दिया जाएगा।”
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ग्रामवासी
“अगर सरकार हर दुकान में सोलर और बैकअप दे दे, तो हमें परेशानी नहीं होगी। हमें रोज़मर्रा का राशन चाहिए, तकनीक अच्छी है लेकिन सुविधाएँ पूरी होनी चाहिए।”
पारदर्शिता बढ़ाने के लिए लागू की गई इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली तभी कारगर साबित होगी जब प्रशासन ग्रामीण इलाकों की बुनियादी समस्याओं—बिजली और इंटरनेट—का ठोस समाधान निकाले। सरकार को चाहिए कि हर दुकान में सौर ऊर्जा, बैकअप और नेटवर्क सपोर्ट की व्यवस्था सुनिश्चित करे, ताकि ग्रामीणों को बार-बार लाइन में लगकर मायूस लौटना न पड़े। तभी नई तकनीक का असली लाभ जनता तक पहुँच पाएगा और शासन की मंशा पूरी हो सकेगी।



