छत्तीसगढ़ : भतकुंदा के वन दुर्गा में बलि प्रथा और पशु बांधने वाली गेरुवा रस्सी की सुरुवात कैसे हुई , कई रहस्यमयी घटनाएं आज लोग नौकरी खोए हुए चीज और कई मन्नते लेकर छत्तीसगढ़ के कोने कोने से पहुच रहे है टीएस सिंह देव तक ।
भारत मे कई ऐसे मंदिर है जहां आज भी आस्था के साथ पूजा पाठ और मनोकामना मांगे जाते है पूरी होने पर मनोकामना के अनुसार देवी या भगवान को देना पड़ता है लेकिन अब भी बली प्रथा जारी है भारत सहीत छत्तीसगढ़ के कई देवी मंदिरों में आज बली प्रथा जारी है वैसे तो उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में पशुबलि प्रतिषेध
अधिनियम 1989 के तहत पशु बलि प्रतिबंधित है और इसके उल्लंघन पर तीन महीने की जेल या जुर्माने का प्रावधान है. राज्य के कई धार्मिक स्थलों पर भैंसा और बकरे की बलि देने की परंपरा रही है और कई समिति के प्रयासों से पिछले वर्षों में अनेक स्थानों पर पशुबलि की परंपरा बंद हो गई है।
उल्लेखनीय है की जानवरों के परिवहन के संबंध में आमतौर पर अवैध तरीकों को अपनाया जाता है जैसे ट्रकों या वाहनों में ठूस ठूस कर जानवरों को भरा जाना जिससे उनका दम घुटता है व परिवहन के दौरान उनकी हड्डियाँ टूट जाती है। हत्या हेतु ले जाते समय हेतु मारते पीटते हुए कुर्बानी वाली जगह तक लाया जाता है और
फिर तेज़ धारदार हथियार से गैर प्रशिक्षित कसाइयों द्वारा उन छोटे बच्चों के सामने इन जानवरों का गला रेंत कर उन्हें धीरे-धीरे तड़फ-तड़फ कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है जो बच्चे इन जानवरों को मरते हुए नहीं देखना चाहते हमारा मकसद के किसी के धर्म के आस्थाओं को ठेस बिल्कुल नही है ।
महाजनपद न्यूज ने छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिले के बसना पिथौरा सांकरा से 10 किलोमीटर दूर भतकुंदा क्षेत्र में आने वाले वन दुर्गा मंदिर का कई ऐसे वीडियो यु ट्यूब और गूगल में अपलोड है उनको रिसर्च किया जिसमें कई रहस्यमयी घटनाएं सुनने को मिली
वनदुर्गा भतकुंदा लगभग 100 से 150 साल पहले इस चमत्कारीक घटना के बाद सुरु हुवा था यहाँ देवी की पूजा मुरादे पूरी होने के लिए गेरुआ और दीया जा रहा है बली लोग यहां नौकरी खोए हुए चीज , और बच्चे नही होने पर एवं भूत प्रेत से प्रताड़ित कई मन्नते लेकर छत्तीसगढ़ के कोने कोने से पहुच रहे है और मनोकामना मांग रहे है यहां आज इतने गेरुवा रस्सी चढ़ चुकी है कि इनकी संख्या आज कई हजारो में है ।
जानकारी के अनुसार पूर्व में यहां घना जंगल था तथा क्षेत्र के सराईपतेरा निवासी तांत्रिक नटुवा ब्राम्हण कोई दो सौ साल पहले देवरी राज से पूजा पाठ कर वापस आ रहा था तभी भतकुंदा में दो बाघ ने उन्हें घेर लिया। अपनी जान बचाने के लिए नटुवा ब्राम्हण ने वहीं पर दान में मिले सोने-चांदी के आभूषण को पेड़ के नीचे गड्ढे खोदकर पाटकर उनके उपर एक पत्थर रख दिया। ब्राम्हण ने आंख बंदकर उक्त पत्थर को देवी समझकर पूजा आराधना की और जब आंख खुली तो उनके सामने से बाघ ओझल हो गया था। उक्त कहानी को सराईपतेरा जाने पर कार्तिको सांवल को बताया तथा विधि-विधान से पूजा आराधना करने कहा। तभी से यहां सांवल परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी पूजा आराधना में जुटे हुए हैं और आज इनकी ख्याति दूर-दूर तक बढ़ गई है। तथा लोग यहां आकर मन्नत मांग रहे है और अपने मुरादें पूरी होने के बाद फिर शनिवार और मंगलवार को पहुंचते हैं।
वही यु ट्यूब पर वीडियो अपलोड देखने पर पता चलता है कि जमाने मे कई ऐसे चीज खो जाते थे जिसके बाद गेरुवा बदने पर खोई हुई चीज मिल जाता था और बाद में बकरे की बली देना होता था ऐसे ही कई घटनाएं भतकुंदा मंदिर से जुड़ी है ।
वैसे एक घटना छत्तीसगढ़ के चंद्रपुर चंद्रहासिनी से मिलती जुलती है यू ट्यूब वीडियो देखने पर पता चलता है की एक ग्रामीण सायकल खो जाने पर मनोकामना मांगा था और सायकल मिल गया लेकिन बली देना भूल गया जिसके बाद उसकी पत्नी खत्म हो गई और उसके बच्चे एक दिन लापता हो गया बहुत ढूंढने के बाद ग्रामीणों ने पीड़ित को वन दुर्गा मंदिर के मनोकामना की बात बताई भूले हुए पीड़ित ने जब मन्नत पूरी की तो बच्चा फिर से वापिस आ गया और कहा कि मैं अपनें माँ की पास थी जबकि उसकी माँ के मृत्य साल भर पहले हो गई थी इस घटना के बाद लोगो का मानना था को बच्चे वन दुर्गा देवी के पास ही था और लोगो का विस्वास बढ़ते चले गया
वही लोगो का कहना है कि बुजुर्ग महिला बाजार से आते वक्त वन दुर्गा मंदिर के पास ही सौच कर दी और ओ महिला मौन हो गई थी किसी को बोलने में सक्षम नही थी और वही पर छूट गई गांव वालों को ढूंढने के और वन देवी में मनोकामना के बाद महिला बोलनें में सक्षम हुई
वैसे इस भतकुंदा में वन दुर्गा मंदिर के कई वीडियो यु ट्यूब लोगो ने अपलोड कर रखा है जिसमे एक वीडियो में बताया गया कि छत्तीसगढ़ के मंत्री टीएस सिंह देव भी इस मंदिर आ चुके है और छत्तीसगढ़ के कोने कोने से लोग यहां पहुँच रहे है ।