सरायपाली के प्रतिभा कॉलेज ऑफ एजुकेशन व रामचंडी महाविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में गूंजे विद्वानों के विचार — शिक्षा, समाज और संस्कृति के बीच सेतु निर्माण पर हुआ गहन विचार-विमर्श”
दिनांक 15 अक्टूबर 2025प्रतिभा कॉलेज ऑफ एजुकेशन में शिक्षा और समाज पर राष्ट्रीय स्तर पर मंथन सरायपाली।प्रतिभा कॉलेज ऑफ एजुकेशन, बालसी, सरायपाली एवं रामचंडी महाविद्यालय, सरायपाली के तत्वावधान में दिनांक 15 अक्टूबर 2025 को “वर्तमान भारतीय परिप्रेक्ष्य में शिक्षा और समाज” विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी (National Seminar) का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी शिक्षाएवं समाज के बीच के संबंध, नई शिक्षा नीति, नैतिक मूल्यों, तथा भारतीय परिप्रेक्ष्य में शिक्षा की भूमिका पर केंद्रित रही।कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके पश्चात अतिथियों के स्वागत के उपरांत संगोष्ठी का औपचारिक शुभारंभ किया गया।कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. संध्या भोई, प्राचार्य, स्व. राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह शासकीय महाविद्यालय, सरायपाली उपस्थित रहीं।
उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि“शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज में नैतिकता, संवेदनशीलताऔर उत्तरदायित्व का विकास करने की प्रक्रिया है। वर्तमान भारतीय समाज में शिक्षा कीभूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही समाज के उत्थान और राष्ट्र के विकास की नींवरखती है।”वक्ता के रूप में डॉ. एन. के. भोई, प्राचार्य, रामचंडी महाविद्यालय, सरायपाली उपस्थित रहे।डॉ. एन. के. भोई ने कहा कि शिक्षा को समाज से अलग नहीं किया जा सकता, क्योंकि समाजका निर्माण शिक्षित वर्ग द्वारा ही होता है। उन्होंने नई शिक्षा नीति (NEP-2020) की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह नीति विद्यार्थियों में न केवल बौद्धिक विकास बल्कि व्यावहारिक एवं मूल्य परक शिक्षा को भी प्रोत्साहित करती है। प्रदीप बारिक, विभागाध्यक्ष (HOD), रामचंडी
महाविद्यालय,सरायपाली ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज के समय में शिक्षा में तकनीक का समावेश आवश्यक है, परंतु इसके साथ मानव मूल्यों का संतुलन बनाए रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने समाज में शिक्षकों की भूमिका को परिवर्तन के प्रमुख वाहक के रूप में प्रस्तुत किया।संगोष्ठीके वक्ता के रूप में श्री अंकित भोई, सहायक प्राध्यापक, शासकीय नवीन महाविद्यालय, पिरदा एवं श्रीमती सपना भोई, सहायक प्राध्यापक, शासकीय नवीन महाविद्यालय, पिरदा रहे।
श्री अंकित भोई ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि “वर्तमान समय में शिक्षा का उद्देश्यकेवल रोजगार प्राप्ति नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों का संवर्धन और सामाजिक चेतना का विकासहोना चाहिए। भारतीय परंपरा में शिक्षा सदैव समाज सेवा और चरित्र निर्माण का माध्यमरही है। यदि शिक्षा समाज से कट जाएगी, तो विकास अधूरा रह जाएगा।”
श्रीमती सपना भोई ने कहा कि शिक्षा तभी सार्थक होगी जब वह समाज के हर वर्ग तक समान अवसरों के साथ पहुँचे। उन्होंने महिला शिक्षा, लैंगिक समानता और ग्रामीण शिक्षा व्यवस्थापर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा और समाज एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंनेकहा कि “आज के वैश्विक परिदृश्य में भारतीय शिक्षा प्रणाली को न केवल आधुनिक तकनीकी ज्ञान पर केंद्रित होना चाहिए, बल्कि भारतीय संस्कृति, नैतिकता और सामाजिक मूल्योंको भी आगे बढ़ाना चाहिए।”संगोष्ठी में रामचंडी महाविद्यालय एवं प्रतिभा कॉलेज ऑफ एजुकेशन के सहायक प्राध्यापकगण तथा विद्यार्थीगण बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए। जिनमें समाज में शिक्षा के बदलते स्वरूप, डिजिटल युगकी चुनौतियाँ, नैतिक शिक्षा का महत्व तथा भारतीय शिक्षा की वैश्विक प्रासंगिकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। कार्यक्रम का संचालन कुशलतापूर्वक सहायक प्राध्यापकगणों द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रतिभा कॉलेज के सहायक प्राध्यापक दमयंती पटेल द्वारा प्रस्तुत किया गया।
पूरे कार्यक्रम में विद्वान अतिथियों की उपस्थिति, विद्यार्थियों का उत्साह और विषय की गंभीरता ने इसे अत्यंत सफल और सार्थक बना दिया।