Tuesday, October 14, 2025
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Sim Card पर बड़ी खबर, TRAI ने बदल दिया नियम, जल्द होने जा रही है पूरे देश में होगा लागू ,व्यक्ति के सभी फोन कॉल्स और मैसेज, OTP दूसरे फोन में जाने लगते हैं बंद होंगे लाखों जाली सिम कार्ड? सरकार ने बताया पूरा गोरखधंधा!

Sim Card पर बड़ी खबर, TRAI ने बदल दिया नियम, जल्द होने जा रही है पूरे देश में होगा लागू ,व्यक्ति के सभी फोन कॉल्स और मैसेज, OTP दूसरे फोन में जाने लगते हैं बंद होंगे लाखों जाली सिम कार्ड? सरकार ने बताया पूरा गोरखधंधा!

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: अगर आपके पास फीचर फोन या फिर स्मार्टफोन है तो यह खबर आपके लिए जरूरी है। क्योंकि टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी TRAI की तरफ से सिम कार्ड को लेकर नए नियम जारी कर दिए गए हैं। ट्राई की तरफ से जारी किए गए सिम कार्ड के नए नियम पूरे देश में 1 जुलाई से लागू होंगे। अगर आप किसी भी कंपनी का सिम कार्ड इस्तेमाल करते हैं तो आपको ट्राई के नए नियमों के बारे में जरूर जानना चाहिए।

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TRAI के मुताबिक सिम कार्ड के लिए जारी किए गए नियमों से तेजी से बढ़ रही फ्रॉड की घटनाओं पर रोक लगाने में भी मदद मिलेगी। आपको बता दें कि ट्राई की तरफ से सिम स्वैप को लेकर सबसे बड़ा बदलाव किया गया है। इसलिए अगर आप ने अपना सिम स्वैप कराया है तो अब आपको ध्यान देना चाहिए।

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इन लोगों के लिए सख्त हुए नियम
नए नियम के अनुसार जिन लोगों ने हाल ही के दिनों में अपने सिम कार्ड को स्वैप किया है वो अपना मोबइल नंबर पोर्ट नहीं कर पाएं। यानी वे यूजर्स अपने मोबाइल नंबर को किसी दूसरी कंपनी में स्विच नहीं कर सकेंगे। सामान्य तौर पर सिम कार्ड स्वैपिंग सिम के खो जाने या फिर सिम कार्ड के टूट जाने पर होती है। इस कंडीशन में यूजर्स अपने टेलिकॉम ऑपरेटर से अपना पुराना सिम देकर नया सिम ले लेते हैं।

TRAI ने पोस्ट करके दी जानकारी
TRAI ने अपने ऑफिशयल एक्स अकाउंट से नए नियम को लेकर पोस्ट करते हुए कहा कि सिम स्वैप करने के सात दिन तक यूजर्स किसी दूसरी कंपनी में पोर्ट नहीं कर सकेंगे। आपको बता दें कि साइबर फ्रॉड के अक्सर ऐसे मामले आते हैं जिनमें स्कैमर्स सिम स्वैपिंग जरिए लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं। सिम स्वैपिंग करने से एक व्यक्ति के सभी फोन कॉल्स और मैसेज, OTP दूसरे फोन में जाने लगते हैं।

भारत सरकार की एक जानकारी ने देश में सिम कार्ड के गोरखधंधे से थोड़ा परदा तो उठा ही दिया है. भारत सरकार के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत दूरसंचार विभाग आता है. अंग्रेजी में बोले तो टेली कॉम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट (डीओटी). सरकार के इसी विभाग ने बताया है कि देश में कम से कम 21 लाख सिम कार्ड ऐसे हैं जो जाली पहचान पत्र या फिर निवास पत्र का इस्तेमाल कर खरीदे गए हैं. वहीं, 1 करोड़ 92 लाख मामले ऐसे हैं जहां एक शख्स के नाम पर 9 से अधिक सिम कार्ड जारी है.

भारत सरकार ने ये पूरी राष्ट्रव्यापी पड़ताल ‘संचार साथी’ इनिशिएटिव के जरिये की. ये मुहिम नागरिकों के मोबाइल कनेक्शन की सुरक्षा को लेकर काम करती है. इसी के जरिये दूरसंचार विभाग ने समूचे देश के करीब 114 करोड़ मोबाइल फोन कनेक्शन की नए सिरे से पड़ताल की. विभाग ये सबकुछ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट के माध्यम से कर पाया. संचार साथी के माध्यम से आप यहां तक पता लगा सकते हैं कि आपके नाम पर फिलहाल कितने सिम कार्ड इस्तेमाल में हैं और अगर आपको ऐसा लगता है कि आपको किसी खास सिम कार्ड की जरुरत नहीं तो आप तत्काल प्रभाव से उसे बंद करा सकते हैं.

जाली दस्तावेज देकर खरीदे गए सिम कार्ड को बंद करने की प्रक्रिया डेटा क्लिनसिंग कहलाती है. जाली दस्तावेज के जरिये खरीदे और एक्टिवेट कराए गए लाखों सिम कार्ड को लेकर ये संदेह जताया जाता रहा है कि इनमें से ज्यादातर का इस्तेमाल साइबर क्राइम और ऑनलाइन फ्रॉड के लिए किया जा रहा है. एक ऐसे समय में जब ऑनलाइन जालसाजी के मामले बढ़े हैं, जाली सिम कार्ड की धर पकड़ को लेकर ये कार्रवाई काफी अहम हो जाती है.

फर्ज सिम कार्ड और ऑनलाइन अपराध

सुप्रीम कोर्ट में वकील और साइबर कानून विशेषज्ञ विराग गुप्ता जो ‘डिजिटल कानूनों से समृद्ध भारत’ पुस्तक के लेखक के लेखक भी हैं, वह बढ़ते साइबर अपराधों को लेकर एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने रखते हैं. विराग गुप्ता का कहना है कि वैसे तो एनसीआरबी के आंकड़ों में साइबर अपराधों की रिपोर्टिंग भले सिर्फ 65 हजार सालाना हो लेकिन गृह मंत्रालय और 1930 के हेल्पलाइन से हासिल आंकड़ों के मुताबिक सालाना 31 लाख से अधिक वित्तीय साइबर अपराधों को अंजाम दिया गया.

ऑनलाइन फर्जीवाड़े की बहस बगैर जाली सिम कार्ड का जिक्र किए पूरी नहीं हो सकती या यूं कहें कि जाली सिम कार्ड के खिलाफ कार्रवाई साइबर अपराधों पर भी नकेल कसने के लिए काफी आवश्यक है. विराग गुप्ता कहते हैं कि ”अधिकांश साइबर अपराधों को तीन तरीकों से अंजाम दिया जाता है. पहला – फर्जी सिम कार्ड, दूसरा – बोगस बैंक खाता और तीसरा – फेक सोशल मीडिया अकाउंट.”

अगर हम जरा ठहरकर इन फर्जीवाड़े के इन तीन तरीकों पर सोचें तो पाएंगे कि समूचे देश में जो साइबर अपराधों की बाढ़ सी आ गई है, उसमें बड़े पैमाने पर फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल हो रहा है. ये इसलिए भी क्योंकि दो और तरीकों से यह ज्यादा आसान नजर आती है. ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु में ऑनलाइन जालसाजी और अपराध के संदेह में आने वाले जो मामले दर्ज किए गए, उसमें 90 फीसदी उन सिम कार्ड के जरिये हुए जो जाली दस्तावेज का इस्तेमाल कर चालू कराए गए थे.

ऑनलाइन फ्रॉड और साइबर क्राइम के मामलों की जांच करने वाले अधिकारियों के लिए हमेशा ही से केवाईसी की प्रक्रिया से गुजरे बिना जारी किए गए सिम कार्ड एक चुनौती रहे हैं. इसकी वजह है कि आरोपी की तलाशी उसके नाम से सिम कार्ड न होने के कारण काफी मुश्किल हो जाती है. जाली सिम कार्ड के बंद होने से साइबर क्राइम और ऑनलाइन फ्रॉड के मामलों में कमी आने की उम्मीद विभाग की ओर से की जाती है.

सबसे ज्यादा फर्जी सिम कार्ड कहां के?

दूरसंचार विभाग का कहना है कि देश में सबसे ज्यादा जाली दस्तावेज का इस्तेमाल कर सिम कार्ड एयरटेल और रिलायंस जियो के यहां से जारी हुए हैं. ऐसे कुल 21 लाख जाली सिम कार्ड में से 7 लाख 46 हजार के करीब एयरटेल के हैं. इसके बाद जियो का नंबर है जिसके तकरीबन 5 लाख 34 हजार सिम कार्ड संदेह के दायरे में हैं. तीसरे नंबर पर वोडाफोन आईडिया है जिसके लगभग 5 लाख 28 हजार सिम कार्ड को विभाग ने जाली दस्तावेज के जरिये जारी किए गए सिम की सूची में रखा है.

वहीं, बीएसएनएल के लगभग 3 लाख और एमटीएनएल के 1 हजार 76 यूजर्स ऐसे हैं जो जाली सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं. देश के पांच सर्किल जहां सबसे अधिक जाली सिम कार्ड के मामले दर्ज किए गए, उनमें उत्तर प्रदेश (पूर्व), असम, उत्तर प्रदेश (पश्चिम), तमिलनाडु और केरल हैं.

जहां तक एक ही आईडी पर 9 से ज्यादा सिम कार्ड जारी होने वाले यूजर्स की बात है तो वोडाफोन आईडिया के अंतर्गत ऐसे सिम कार्ड सबसे अधिक जारी हुए हैं. वोडाफोन आईडिया के 84 लाख, भारती एयरटेल के 45 लाख, जियो के 42 लाख और बीएसएनएल के 21 लाख यूजर्स ऐसे हैं जिनके नाम पर 9 से अधिक सीम कार्ड पाए गए हैं. ये लोग सरकार की ओर से तय की गई एक पहचान पत्र पर 9 सिम कार्ड खरीदने की सीमा का उल्लंघन कर रहे हैं.

देश के वे पांच सर्किल जहां सबसे अधिक ऐसे मामले दर्ज किए गए, उनमें उत्तर प्रदेश (पूर्व), महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और हरियाणा हैं. हालांकि, विभाग ने ये भी माना है कि एक शख्स के नाम पर 9 से ज्यादा सिम कार्ड जारी करने की जो पूरी तादाद है, उसमें ऐसे मामले भी हैं जहां टेलीकॉम ऑपरेटरों ने गलती से थोक श्रेणी की जगह इंडिविजुअल कैटेगरी में सिम कार्ड जारी कर दिए.

सरकार की ओर से किए गए प्रयास

गलत मोबाइल नम्बर से साइबर अपराधों को रोकने के लिए सरकार ने चक्षु एप को शुरु किया है. इतना ही नहीं, विराग गुप्ता कहते हैं कि ”सिम कार्ड के दुरुपयोग और फर्जीवाड़े को रोकने के लिए डीओटी और ट्राई ने समय-समय पर अनेक नियम बनाये हैं. अगस्त 2012 से दिसम्बर 2023 तक सिम की केवाईसी के लिए फिजिकल तरीके से दस्तावेजों को जमा करने की सहूलियत थी जिसे खत्म करके अब ऑनलाइन कर दिया गया है.”

साथ ही, डीओटी सिम कार्ड के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक दिसम्बर 2023 से नये नियम लागू कर चुकी है जिसके मुताबिक सिम कार्ड की थोक बिक्री में प्रतिबंध, पीओएस फ्रेंचाइजी के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन और सिम कार्ड डीलरों के पुलिस वेरिफिकेशन का प्रावधान किया गया है. हालांकि, एक सच्चाई यह भी है कि ये सभी उपाय होते हुए भी जाली सिम कार्ड और उससे होने वाले साइबर अपराध पर पूरी तरह नकेल नहीं कसी जा सकी है.

 

अब आगे क्या?

लिहाजा, कुछ और उपाय और कदम उठाने की जरुरत है. विराग गुप्ता कहते हैं कि ”सिम कार्ड के माध्यम से साइबर अपराधों को रोकने के लिए टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर (TSP) की कानून जवाबदेही के साथ उनके उपर बड़ा जुर्माना लगाने की जरुरत है. लोकसभा चुनावों के बाद नई सरकार का गठन होने पर टेलीकॉम कानून और डिजिटल इण्डिया कानून को भी जल्द मंजूरी देने और उन्हें लागू करने की जरुरत है.”

बोगस सिम कार्डों पर रोक लगाकर ही साइबर अपराधों पर प्रभावी लगाम लग सकती है. साइबर की दुनिया में ये सोचना कि यहां कोई रिस्क नहीं, सबसे बड़ा रिस्क है.

 

 

 

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