Thursday, September 18, 2025
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महासमुंद -/ किवदंती है कि इसी स्‍थान पर बाणासुर ने अपनी घोर तपस्‍या से भगवान शिव को प्रसन्‍न किया था।

महासमुंद -/ किवदंती है कि इसी स्‍थान पर बाणासुर ने अपनी घोर तपस्‍या से भगवान शिव को प्रसन्‍न किया था।

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महासमुंद हेमन्त वैष्णव

गंधेश्‍वर महादेव का मंदिर – पौराणिक कथाओं के अनुसार पुरातात्‍विक धरोहर सिरपुर एक समय में दानव राज बाणासुर की राजधानी हुआ करती थी।

इसी स्‍थान पर बाणासुर ने अपनी घोर तपस्‍या से भगवान शिव को प्रसन्‍न किया था।

प्राचीन काल में सिरपुर को श्रीपुर के नाम से जाना जाता था। किवदंती है कि इस पावन स्‍थली पर ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश एकसाथ त्रिनाथ के नाम से प्रकट हुए थे।

सिरपुर में गंधेश्‍वर महादेव का मंदिर भी है। इस मंदिर में भगवान शिव की लिंग रूप यानि शिवलिंग के रूप में पूजा होती है। श्रावण मास के महीने में इस मंदिर में लाखों की संख्‍या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।

इसी स्‍थान पर भगवान राम की माता कौशल्‍या का जन्‍म भी हुआ था एवं इसी कारण इस स्‍थान को ‘दक्षिण कोसल’ भी कहा जाता है। इस स्‍थान पर लक्ष्‍मण मंदिर भी स्थित है। ये मंदिर अपनी विशिष्‍ट कलाकृति के कारण संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध है।

महाभारत काल में अर्जुन को अकेले ही बारह वर्ष का वनवास भोगना पड़ा था। उस दौरान पांडव पुत्र अर्जुन ने अपने वनवास के कुछ दिन यहीं बिताए थे। किवदंती है कि महानदी के मनोरम तट पर राजकुमारी उलुपी और सुलुपी स्‍नान कर रहीं थी। इन्‍हें देखकर अर्जुन इन पर मोहित हो गए और अर्जुन ने इनसे गंधर्व विवाह कर लिया। उलुपी को बब्रूवाहन के रूप में एक संतान की प्राप्‍ति हुई तो पराक्रम और साहस में अर्जुन से भी आगे था।

गंधेश्‍वर महादेव का मंदिर – महादेव की प्रकट स्‍थली

फोटो

 

चूंकि इस स्‍थान पर महादेव ने दर्शन दिए थे इस कारण सिरपुर, छत्तीसगढ़ को काशी के नाम से भी जाना जाता है। महादेव की जटा से निकलकर गंगा सिहावा पर्वत से शृंगी ऋषि के वरदान से प्रकट हुई और छत्तीसगढ़ की पावन धरा सिरपुर से होकर गुज़री। इसी वजह से इस स्‍थान का धार्मिक महत्‍व बहुत बढ़ जाता है।

बौद्ध भिक्षुओं का रहा है गढ़

चीनी सभ्‍यता के अनुसार सिरपुर प्राचीन समय में बौद्ध भिक्षुओं का गढ़ रह चुका है। इस स्‍थान पर भगवान गौतम बुद्ध अपने शिष्‍यों के साथ पधारे थे। सिरपुर में भगवान गौतम बुद्ध के अनुयायियों द्वारा बनाए गए बौद्ध स्‍तूप के भग्‍नावशेष आज भी यहां मौजूद हैं।

छत्तीसगढ़ का सिरपुर ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्‍वपूर्ण है। इस स्‍थान पर आकर त्रिनाथ के रूप में ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश के दर्शन कर भक्‍तों का मन प्रसन्‍न हो जाता है।

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