महासमुन्द : क्या कांग्रेस भी बीजेपी के तरह संभावित सूची पर मुहर लगाएगी जिसके बाद होगी कड़ी टक्कर क्या कहता है सरायपाली और बसना के देवेन्द्र का इतिहास कैसा था महासमुन्द का पिछला चुनाव ?
छत्तीसगढ़ में 1 सप्ताह पहले बीजेपी के जिन नेताओ का नाम संभावित सूची का नाम सोसल मीडिया और छत्तीसगढ़ के अखबारों में जिस तरह नेताओ के सम्भावित सूची आ रहा था और ठीक उन्ही नामो को बीजेपी ने अपना प्रत्यासी घोषित कर दिया है
वायरल लिस्ट में बसना के संपत अग्रवाल महासमुन्द से योगेश्वर सिन्हा सहित पुरन्दर मिश्रा का भी नाम था और अब उन टिकटो पर बीजेपी का मुहर लग चुका है अब 3 से 4 दिनों पहले कांग्रेस का भी संभावित सूचियों का नाम
सोसल मीडिया में वायरल होने के बाद अखबारों में भी यह खबर ट्रेंड पर रहा जिसमे महासमुन्द जिले के 4 विधायक का नाम है सरायपाली से किस्मत लाल नंद , बसना से देवेन्द्र बहादुर सिंह , महासमुन्द से विनोद चंद्रकार , खल्लारी से द्वारिकाधीस यादव ,
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या बीजेपी की तरह क्या कांग्रेस भी संभावित सूची पर मुहर लगाएगी ।
हालांकि अब छत्तीसगढ़ में लगभग 5 सीटों पर बीजेपी का सस्पेंस है लेकिन छत्तीसगढ़ के मतदादाताओ का निगाहें अब कांग्रेस प्रत्याशियों पर है खासकर क्या महासमुन्द जिले में इस बार कमल खिल पायेगा या 2018 के चुनाव की तरह खाली रहेगा ।
जिस तरह धान का मुद्दा और पीएम आवास का लिस्ट जारी हो रहा है और भूमि हीन मजदूर , बेरोजगारी भत्ता मिला है देखने पर तो ऐसा ही लगता है कि छत्तीसगढ़ में ज्यादा मतदाता कांग्रेस प्रत्याशीयो पर ही मुहर लगाएँगी लेकिन सरायपाली बसना विधानसभा का चुनाव पूरी तरह अलग होने के आसार है ।
बसना से अब बीजेपी ने डॉ सम्पत अग्रवाल को प्रत्यासी घोषित कर दिया है बता दें कि जिस प्रकार से 2018 में चुनाव का रिजल्ट सामने आया तो सब हैरान थे किसी को अंदाजा नही था की जिस डॉ सम्पत अग्रवाल को पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बसना आकर मजाक उड़ाया था ऐसा लग रहा था
जैसे कि 5 से 10 वोटों पर सिमट जाएगा लेकिन वैसा नही हुवा 50 हजार से अधिक मत निर्दलीय सम्पत अग्रवाल को प्राप्त हुवा अगर उस समय डीसी पटेल के जगह अगर सम्पत अग्रवाल को टिकट मिल जाए रहता तो शायद बसना विधान सभा बीजेपी के हाथ मे रहता लेकिन इसका फायदा कांग्रेस के प्रत्यासी देवेन्द्र बहादुर को हुवा वे बीजेपी और डॉ सम्पत अग्रवाल की
लड़ाई में देवेन्द्र बहादुर सिंह जीत गए और सायद यही वहज है की सब बार बीजेपी ने सिख लेकर स्थानीय प्रत्याशी पर मुहर लगाया है अब दसको बाद ऐसा हुवा है कि बसना के स्थानीय को बीजेपी ने अपना प्रत्याशि बनाया है ।
बारी बारी हर चुनाव में जीत और हार मिलने वाले राजा देवेन्द्र इस बार क्या जीतेंगे की हारेंगे ।
बसना विधायक देवेन्द्र बहादुर सिंह का भी इतिहास अजब गजब है वे लगातार चुनाव नही जीत पाए है जीत और हार लगभग बराबर ही है आदिवासी समाज के साथ साथ कई समाज के वोट उनको बिना खर्च के ही मिलते है देवेन्द्र बहादुर सिंह का पिछला चुनाव रिकॉर्ड देखेंगे तो ज्यादा मतों से हार जीत नही है लगभग 4 बार विधायक रह चुके है बता दें देवेन्द्र बहादुर सिंह चुनावों में अन्य प्रत्याशीयो के तरह खर्च नही करते है उनके कार्य कर्ताओं और स्वयं जो जनसम्पर्क में समर्थन मिलते है उसी से देवेंद्र बहादुर सिंह जो
जीत मिलते आ रहे है और इस साल फिर कांग्रेस का लहर है लेकिन बसना से सम्पत अग्रवाल को टिकट मिलने के बाद उनका चुनाव निकलना बहुत ही मुश्किल होगा चुकी bjp से संपत अग्रवाल का भी भारी जनसमर्थन मिल रहा है इस बार बसना विधानसभा चुनाव में भारी टक्कर देखने को मिलेगा ।
वही सरायपाली विधानसभा सीट का छत्तीसगढ़ बनने के बाद कोई भी विधायक यहां दोबारा चुनाव नही जीत पाया है और बहुत ही दोबारा मौका पार्टी भी कम देती है इसलिए अब किस्मत लाल नंद को टिकट मिल भी जाते है तो उनका जितना उतना आसान नही होगा जितना 2018 के चुनाव में जीते थे 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के श्याम तांडी को हराया था लगभग 1 लाख से अधिक मत प्राप्त हुए थे विधायक किस्मत लाल नंद से भी स्थानीय कार्य करता काफी नाराज है चुनाव में इसका नुकसान पार्टी या किस्मत को हो सकता है ,और अब बीजेपी से सरला कोसरिया है जिनका राजनीतिक पकड़ सालों से सरायपाली क्षेत्र में है वे जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके है और बीजेपी में प्रदेशाउपाध्यक्ष के पद सम्हाल रहे है सरला कोसरिया को भी भारी जनसमर्थन मिल राह है ।
वही महासमुन्द का 2018 का चुनाव रिजल्ट देखने पर पता चलता है कि यहां निर्दलीय प्रत्याशीयो ने काफी चुनाव में विनोद चंद्राकर चुनाव जीतना इतना आसान नही था 2018 के चुनाव परिणाम देखने पर पता चलता है कि निर्दलीय प्रत्याशीयो का चुनाव समीकरण बिगाड़ने में काफी आगे थे लगभग 3 निर्दलीय प्रत्याशी 20 , 20 हजार से अधिक मत मीले थे , कांग्रेस से विनोद चंद्राकर 49356 वोट मिले थे और जीते , बीजेपी से पूनम चंद्रकार को 26 हजार 290 और हार स्वीकार करना पड़ा था वही अब विनोद चंद्राकर को अपने क्षेत्र में कुछ गांव में भारी विरोध झेलना पड़ रहा है
बता दें कि खैरझिटी,कौंवाझर, मालीडीह के कॄषि भूमि, गरीबों का क़ाबिल कास्त भूमि,आदिवासी भूमि,वन भूमि,शासकीय भूमि में गैर कानूनी ढंग से निर्माणाधीन करणी कृपा स्टील एवं पावर प्लांट लगने का आरोप
है गांव के लोग विरोध में विगत 25 फरवरी 2022 से अंचल के किसानों द्वारा छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले अखन्ड गांधीवादी सत्याग्रह चल रहा है अखंड धरना सत्याग्रह के 584 वें दिन खेती किसानी के व्यस्तता के बाद भी 40 किसान,महिला किसान और ग्रामीणों ने भाग ले रहे है अब तो चुनाव में ही देखने को मिलेगा की विरोध का फायदा होता है या नुकसान ।
देखे महासमुन्द विधानसभा 2018 चुनाव के रिजल्ट ।