यूपी, बिहारी समेत देश के कई प्रांतों में भांजे मामा के पैर छूते हैं, लेकिन महाकोशलछत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश के अधिकांश भागों में यह परम्परा नहीं है। यहां मामा अपने भांजों के चरण स्पर्श करते हैं। इसके पीछे एक खास राज जुड़ा हुआ है। वह है राम के ननिहाल का…। जानकार मानते हैं कि भगवान राम की माता कौशल्या महाकौशल क्षेत्र में जन्म थीं। राम पूज्य थे। उनके चरण वंदन के साथ शुरू हुई परम्परा यहां आज भी निभायी जाती है। भगवान राम को भांजा माना जाता है और इसके फलस्वरूप लोग अपने भांजों के भी चरण स्पर्श करते हैं।
भगवान राम वैसे तो पूरी दुनिया में कई रूपों में पूजे जाते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में भगवान राम को भांजे के रूप में पूजा जाता है। क्योंकि कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है। राम जी की माता कौशल्या का जन्म छत्तीसगढ़ में हुआ था। यही नहीं राम जी ने अपने वनवास के 12 साल भी छत्तीसगढ़ में ही बिताए थे।
रायपुर से 40 किलोमीटर दूर चंदखुरी गांव को माता कौशल्या की जन्म स्थली माना जाता है। यहां माता कौशल्या का मंदिर भी है। यही वजह कि प्रदेश के लोग भगवान राम को भांजे के रूप में पूजते हैं। यही नहीं, छत्तीसगढ़िया भाई अपनी बहन के बेटे को भगवान राम के रूप में पूजते हैं।
वैसे राम भगवान से जुड़ी कई मान्यताएं यहां प्रमाणित हैं। माना जाता है कि भगवान राम के वनवास के 12 साल इसी प्रदेश में गुजरे थे। सरगुजा से लेकर बस्तर जिसे दण्डकारण्य कहा जाता है, वहां तक राम जी के वनवास से जुड़ी कथा और प्रमाण देखे जा सकते हैं। शबरी के झूठे बेर भी राम ने छत्तीसगढ़ में ही खाए हैं। इस स्थान को लोग शिवरीनारायण के नाम से जानते हैं। वैसे भगवान राम के पुत्र लव-कुश का जन्म स्थल वाल्मिकी आश्रम भी छत्तीसगढ़ के तुरतिया पहाड़ पर मौजूद है।
भगवान राम को लेकर ऐसे कितने ही प्रमाण छत्तीसगढ़ में देखने और सुनने को मिलते हैं। यही वजह है कि राम जी को लेकर छत्तीसगढ़ियों के मन में आगाध आस्था दिखती है। भगवान राम के प्रति आस्था का एक बड़ा प्रमाण जांजगीर और रायगढ़ जिले में राम-रमिया समुदाय के रूप में भी देखा जा सकता है। इनके पूरे शरीर में राम नाम गुदा हुआ रहता है। कह सकते हैं कि राम छत्तीसगढ़ के कण-कण में हैं। छत्तीसगढ़ियों के रग-रग में हैं।
उत्तर और दक्षिण कोशल राज्य
रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ. सुरेश्वर शर्मा श्रीराम और रामायण पर पिछले 20 वर्षों से रिसर्च कर रहे हैं। उन्होंने बताया पूर्व में उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल दो राज्य हुआ करते थे। जो वर्तमान में उत्तर कोशल-उत्तर प्रदेश बना और दक्षिण कोशल विभाजन पूर्व का मध्यप्रदेश कहलाता है। बाल्मीकि और वशिष्ठ रामायण में स्पष्ट लिखा कि मप्र का महाकोशल क्षेत्र माता कौशल्या का मायका हुआ करता था। छत्तीसगढ़ के लोग आज भी प्रदेश को श्रीराम का ननिहाल मानते हैं। मध्य प्रदेश में भले ही कम लोगों को इस बात की जानकारी हो, लेकिन यह सच है कि श्रीराम को भांजा मानते हुए यहां लोग आज भी अपने भांजों के पैर छूते हैं। भांजे को पूज्य माना जाता है।
कौशल्या को बनाया रानी
गुप्तेश्वर धाम के पीठाधीश्वर स्वामी डॉ. मुकुंददास महाराज के अनुसार बाल्मिक रामायण और वशिष्ठ रामायण में प्रदेश के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में रावण की चौकियां हुआ करती थीं। महाकोशल क्षेत्र जिमसें कुछ हिस्सा अब छत्तीसगढ़ चला गया है, भी शामिल था। यही महाकोशल माता कौशल्या का मायका कहलाता है। जिसमें 18 से अधिक जिले हुए करते थे। जब राजा दशरथ ने राजसूय यज्ञ किया तब वे विंध्य के राजाओं से मिलने भी आए, जहां माता कौशल्या को देखकर प्रभावित हुए और उन्हें अपनी रानी बना लिया। यही नहीं श्रीराम जब वनवास गए तब वे ननिहाल होते हुए ही दक्षिण भारत की ओर गए थे।
महाकोशल में था मायका
इतिहासकार अरुण शुक्ल व डीपी गुप्ता की मानें तो माता कौशल्या का जन्म महाकोशल में ही हुआ था। इसी आधार पर उनका नाम कौशल्या पड़ा। उस समय महाकोशल क्षेत्र कोशल कहलाता था। मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद इसका कुछ हिस्सा अब छत्तीसगढ़ में चला गया है। विशेष बात यह है कि महाकौशल के साथ छत्तीसगढ़ में यही परंपरा निभायी जाती है। वहां भी लोग भांजों का सम्मान करते हैं।
भगवान श्री राम के मामा का प्रमाण कही पर भी रामयण मे नहीं है इंटरनेट मे सर्च करने पर सिर्फ सत्यजीत रामायण मे श्री राम क़ा मामा के नाम का उल्लेख सामने आ रहा है जिसके अनुसार राम के मामा के अनुसार मनु था



