Saturday, June 21, 2025
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सरायपाली/। मानसून में युवाओं की पहली पसंद है शिशुपाल, ट्रेकिंग- कैम्पिंग और व्यू पॉइंट के साथ ही शिशुपाल पर्वत पर जौहर के इतिहास से भी जुड़ा है

सरायपाली/। मानसून में युवाओं की पहली पसंद है शिशुपाल, ट्रेकिंग- कैम्पिंग और व्यू पॉइंट के साथ ही शिशुपाल पर्वत पर जौहर के इतिहास से भी जुड़ा है

वर्तमान में सिसुपाल पर्वत एक पिकनिक स्पॉट और ट्रैकिंग पॉइंट बनते जा रहा है लेकिन कभी यहाँ एक गौरवशाली इतिहास घटित हुवा है जो बहुत कम लोग इन घटनाओं के बारे में जानते है अभी यही बात सामने आता है कि राजा रानियों ने अंग्रेजो द्वारा आक्रमण के बाद घेरे जाने के बाद सिसुपाल पर्वत के ऊपर से घोड़ो में सवार होकर घोड़ो के आंख में पट्टी बांधकर सिसुपाल पर्वत से छलांग लगा दिए थे और इसी का नाम घोड़ा धार पड़ा लेकिन ऐसा नही है ,

 

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भैना राजाओं का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है अक्सर सोसल मीडिया प्रिंट और वेबसाइटों में पढ़ने मिल रहा है कि राजा सिसुपाल और रानी को द्वारा अंग्रेजो द्वारा घेर लिए जाने पर पर्वत से घोड़ो के आंख में पट्टी बांधकर कूद गए थे लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नही बता दें कि सिसुपाल पर्वत पर अंग्रेजो द्वारा विजय पाना इतना भी आसान नही था ।

सिसुपाल पर्वत की ऊंचाई तल से हजारो फिट ऊपर है जहां तक आज पिकनिक स्पॉट है लेकिन उसके ऊपर और कई किलोमीटर क्षेत्र में सिसुपाल पर्वत फैला जो राजाओं और सैनिकों के लिए एक अभेद किला था और किले में सस्त्र और सैनिक और इस पर्वत में भी गुप्त सुरंगे और रास्ते थे राजा और रानियां भाग भी सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया अंग्रेजी सल्तनत द्वारा आक्रमण के बाद जब अंतिम राजा और सैनिकों द्वारा अंग्रेजो के मध्य भयंकर लड़ाई लड़ा गया था युद्ध मे अंतिम राजा के मारे जाने के बाद ही 7 रानियों ने मर्यादा की रक्षा के लिए 1 हजार फीट की चोटी से घोड़ो पर पट्टी बांधकर छलांग लगा दिए और इसी का नाम घोड़ा धार पड़ा ।

शिशुपाल पर्वत सरायपाली से लगभग 26 किमी की दूरी पर स्थित है और यह 10 किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है. इसकी सबसे ऊंची चोटी को “खेमाखुटी” कहा जाता है. पर्वत के पूर्वी हिस्से में स्थित घोड़ाधार जलप्रपात इसकी प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ा देता है.

यदि आप भी इस वीकेंड मानसून के मजे के साथ घूमने की योजना बना रहे हैं, तो छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता आपका इंतजार कर रही है. यहां के जलप्रपात, नदियां, जंगल और पहाड़ देशभर में प्रसिद्ध हैं, जो पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. मानसून के दौरान छत्तीसगढ़ का महासमुंद जिला, खासकर शिशुपाल पर्वत, घूमने के लिए एक आदर्श स्थान बन जाता है.

शिशुपाल पर्वत: ट्रैकिंग और रोमांच के शौकीनों के लिएबेहतरीन विकल्प 

शिशुपाल पर्वत महासमुंद जिले में स्थित है और यह ट्रैकिंग, कैंपिंग और आकर्षक व्यू पॉइंट्स के कारण युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय है. पर्वत की 1200 फीट की ऊंचाई पर उगते सूरज की पहली किरणों के साथ सेल्फी लेने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. वहीं, घोड़ाधार जलप्रपात में 300 मीटर की ऊंचाई से गिरते पानी का अद्भुत दृश्य सभी को आकर्षित करता है. पर्वत की ऊंचाई से साफ मौसम में लगभग 90 किमी तक का नजारा देखा जा सकता है, जो इसे और भी खास बनाता है.

शिशुपाल पर्वत सरायपाली से लगभग 26 किमी की दूरी पर स्थित है और यह 10 किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है. इसकी सबसे ऊंची चोटी को “खेमाखुटी” कहा जाता है. पर्वत के पूर्वी हिस्से में स्थित घोड़ाधार जलप्रपात इसकी प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ा देता है. यहां पर्यटक ट्रैकिंग के साथ रिवर क्रॉसिंग और माउंटेन रेपलिंग का भी आनंद ले सकते हैं, जो इसे रोमांच प्रेमियों के लिए पसंदिता जगह में से एक है.

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रायपुर से केवल 180 किमी की दूरी पर स्थित
शिशुपाल पर्वत राज्य की राजधानी रायपुर से लगभग 180 किमी की दूरी पर स्थित है. जो लोग प्रकृति की गोद में शांति और सुकून की तलाश में हैं, उनके लिए यह पर्वत एक रोमांचक यात्रा जैसा अनुभव प्रदान करता है. मानसून के दौरान इस पर्वत की हरियाली और बारिश की बूंदों के साथ इसकी खूबसूरती दोगुनी हो जाती है.

प्राचीन पंचमुखी हनुमान मंदिर
पर्वत की चढ़ाई के दौरान कुछ सौ मीटर ऊपर एक छोटा सा प्राचीन पंचमुखी हनुमान मंदिर भी स्थित है. स्थानीय लोग बताते हैं कि मंदिर तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों ने कड़ी मेहनत की है. मंदिर तक जाने वाले रास्ते में लोग थैले में रेत और ईंट लेकर आते हैं और यहां बिछा देते हैं, ताकि यात्रियों को चढ़ाई के दौरान सुस्ताने के लिए जगह मिल सके.

शिशुपाल पर्वत का यह क्षेत्र मानसून में घूमने के लिए न केवल एक सुंदर प्राकृतिक स्थल है, बल्कि यहां के जलप्रपात और रोमांचकारी गतिविधियां इसे पर्यटकों के बीच खास बनाती हैं.

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