CG : सरायपाली जिला का सीमा कहाँ तक हो सकता है — कौन-कौन से ब्लॉक शामिल होंगे, और कहा बन सकते हैं नए विकासखंड?
सरायपाली जिला बनने की चर्चा तेज़ — लोगों में उम्मीद, सरकार ने मांगी रिपोर्ट से बढ़ी हलचल
महासमुंद जिले के पूर्वी हिस्से में इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा का विषय “सरायपाली जिला गठन” है।
हालांकि सरकार की ओर से अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन हाल ही में जब से छत्तीसगढ़ शासन ने महासमुंद कलेक्टर से सात बिंदुओं में जानकारी मांगी, तो सरायपाली–बसना क्षेत्र के लोगों में उम्मीदों की नई लहर दौड़ गई।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा हाल ही में महासमुंद कलेक्टर से इस विषय में 7 बिंदुओं में विस्तृत जानकारी मांगे जाने के बाद स्थानीय राजनीति से लेकर आम जनता तक में इस मुद्दे पर हलचल बढ़ गई है। लोगों का कहना है कि भाजपा की डबल इंजन सरकार से उन्हें उम्मीद है कि यह लंबे समय से लंबित मांग अब साकार होगी। हालांकि इस विषय पर श्रेय लेने की होड़ भी तेज़ है — कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही दलों के नेताओं ने समय-समय पर सरायपाली जिला गठन की मांग उठाई है, पर अब तक निर्णय नहीं हो सका है।
लोगों का कहना है कि महासमुंद से अलग होकर नया जिला बनने से न सिर्फ़ प्रशासनिक कामकाज में आसानी होगी,
बल्कि विकास की गति भी तेज़ होगी।
स्थानीय नागरिकों के बीच यह मुद्दा अब केवल सुविधा का नहीं, बल्कि पहचान और आत्मसम्मान का प्रतीक बन गया है125 किलोमीटर की दूरी, आम जनता के लिए बड़ी परेशानी सरायपाली महासमुंद जिले का सबसे पूर्वी और सीमावर्ती हिस्सा है,जो ओडिशा राज्य की सीमा से लगा हुआ है।यहाँ से जिला मुख्यालय महासमुंद की दूरी करीब 125 से 130 किलोमीटर है। इतनी दूरी के कारण लोगों को शासन और प्रशासनिक कार्यों के लिए बार-बार जिला मुख्यालय की दौड़ लगानी पड़ती है।
ग्राम पंचायतों से लेकर शासकीय विभागों तक की फाइलें महीनों तक लंबित रहती हैं।
किसानों, छात्रों और ग्रामीणों को अपनी छोटी-छोटी समस्याओं के समाधान के लिए पूरा दिन यात्रा करनी पड़ती है।
इसी कारण अब आम जनता खुलकर कह रही है कि “सरायपाली को जिला बनाना अब समय की मांग है।”
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लोगों की राय — “यह केवल प्रशासन नहीं, सम्मान की बात है” स्थानीय निवासियों का मानना है कि सरायपाली जिला बनना केवल प्रशासनिक सुविधा नहीं,
बल्कि क्षेत्रीय अस्मिता और सम्मान से जुड़ा मुद्दा है।
लोगों का कहना है कि महासमुंद के मुकाबले यह इलाका सांस्कृतिक रूप से भिन्न और ऐतिहासिक दृष्टि से विशिष्ट है।
चार ब्लॉकों का प्रस्ताव चर्चा में
स्थानीय स्तर पर यह चर्चा भी तेजी से हो रही है कि प्रस्तावित सरायपाली जिला में कुल चार विकासखंड शामिल हो सकते हैं —
1️⃣ सरायपाली
2️⃣ बसना
3️⃣ सांकरा (प्रस्तावित नया ब्लॉक)
4️⃣ छुईपाली–भंवरपुर (प्रस्तावित नया ब्लॉक)
हालांकि शासन की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक सूची जारी नहीं हुई है,
लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि यही चार क्षेत्र मिलकर एक सशक्त प्रशासनिक इकाई बना सकते हैं।
इन इलाकों की भौगोलिक स्थिति और आपसी संपर्क भी इन्हें स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे से जोड़ता है।
संभावित सीमाएँ और भौगोलिक स्थिति चर्चाओं में बताया जा रहा है कि प्रस्तावित सरायपाली जिले की सीमा इस प्रकार हो सकती है —
📍 उत्तर में: रायगढ़ जिला का सारंगढ़–बिलाईगढ़ और बरमकेला क्षेत्र
📍 दक्षिण में: ओडिशा राज्य का बरगढ़ और पदमपुर जिला
📍 पूर्व में: ओडिशा का सोहेला इलाका
📍 पश्चिम में: महासमुंद का पिथौरा ब्लॉक
इस तरह सरायपाली जिला, छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा पर स्थित होकर सांस्कृतिक और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र बन जाएगा।
7 लाख की आबादी, 3 हजार वर्ग किमी क्षेत्रफल
स्थानीय लोगों के अनुसार प्रस्तावित जिले की जनसंख्या करीब 7 लाख और क्षेत्रफल लगभग 2,800 से 3,000 वर्ग किलोमीटर माना जा रहा है।
इस क्षेत्र में 350 से अधिक ग्राम पंचायतें और दो नगरीय निकाय — सरायपाली (नगरपालिका) और बसना (नगर पंचायत) — पहले से मौजूद हैं।
लोगों का कहना है कि इन मानकों के अनुसार सरायपाली जिला गठन के सभी प्रशासनिक और जनसंख्या संबंधी मानक पूरे करता है।
कृषि, व्यापार और अर्थव्यवस्था का केंद्र
सरायपाली–बसना क्षेत्र कृषि उत्पादन में समृद्ध है।
यहाँ धान, तिलहन, दलहन और मक्का जैसी फसलें बड़े पैमाने पर होती हैं।
सरायपाली और बसना दोनों नगर व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रमुख केंद्र हैं।
धान खरीदी केंद्र, कृषि मंडियाँ और साप्ताहिक बाजारों की सक्रियता ने इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाया है।
ओडिशा से लगते व्यापारिक संबंध भी यहाँ के व्यापार को अतिरिक्त बल देते हैं।
लोगों का कहना है कि यदि जिला बनता है तो यहाँ के कृषि और औद्योगिक विकास को नया आयाम मिलेगा।
इतिहास, संस्कृति और आस्था की धरोहर
सरायपाली अंचल इतिहास और संस्कृति से भरपूर है। सिंघोड़ा मंदिर सांकरा, गढ़फुलझर, नानकसागर और शिशुपाल पर्वत जैसे स्थल इस इलाके की ऐतिहासिक पहचान हैं।
यह क्षेत्र बौद्धकालीन और नागवंशी सभ्यता का प्रतीक माना जाता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि गढ़फुलझर किला और उसके आसपास की गुफाएँ
न केवल ऐतिहासिक महत्व रखती हैं, बल्कि क्षेत्र के गौरव की पहचान भी हैं। यहाँ की लोक संस्कृति, देवी–देवताओं की परंपरा और वार्षिक मेले इस क्षेत्र को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक आत्मा से जोड़ते हैं।
राजनीतिक हलचल और उम्मीदें
सरायपाली जिला बनने की चर्चा शुरू होते ही राजनीतिक गतिविधियाँ भी तेज़ हो गई हैं।
स्थानीय नेताओं के बीच इस विषय पर खुली रायभिन्नता देखने को मिल रही है। कुछ जनप्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार ने जब रिपोर्ट मांगी है, तो यह संकेत है कि “सरायपाली जिला बनना अब केवल समय की बात है।”
दूसरी ओर कुछ लोगों का कहना है कि यह अभी केवल विचार–मंथन का दौर है, और कोई औपचारिक निर्णय तभी होगा जब सरकार क्षेत्रीय, वित्तीय और प्रशासनिक दृष्टि से पूरी जांच कर लेगी।
जनता की उम्मीदें और संभावित लाभ
लोगों का कहना है कि अगर सरायपाली को जिला बनाया जाता है तो इससे — प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बढ़ेगी,
शासन की योजनाएँ गाँव-गाँव तक पहुँचेंगी, सीमावर्ती ओडिशा क्षेत्रों में समन्वय बेहतर होगा, स्वास्थ्य, शिक्षा और न्यायिक सेवाओं का विस्तार होगा, और पर्यटन व रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।