बसना : 120 गांव की कहानी एक फाइल, कई किलोमीटर, कई चक्कर… आखिर क्यों भंवरपुर क्षेत्र के लोग न्याय और राहत के लिए बसना जाने को मजबूर हैं?”
भंवरपुर से कुबेर नायक क़ी रिपोर्ट
महासमुंद जिले के बसना ब्लॉक अंतर्गत भंवरपुर उपतहसील में नायब तहसीलदार का पद करीब 4 माह से रिक्त होने से जहां राजस्व संबंधी लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है वहीं न्यायालय संबंधी प्रकरण की सुनवाई नियमित रूप से नहीं होने से लोगों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है। स्थाई नायब तहसीलदार की पदस्थापना नहीं होने किसान वर्ग काफी त्रस्त है क्योंकि छोटे से काम के लिए भी उन्हें बसना का चक्कर काटना पड़ रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार तत्कालीन नायब तहसीलदार अर्पण कुर्रे एक मार्च 2024 से 23 जून 2025 तक पदस्थ रहे। उनके स्थानांतरण के पश्चात नायब तहसीलदार का प्रभार तहसीलदार बसना को दिया गया।
लोगों को न्याय पाने के लिए भंवरपुर को पार कर बसा जाना पड़ता है इससे लोगों का समय और पैसा दोनों बर्बाद हो रहा है। मिली जानकारी के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भेंट मुलाकात के दौरान भंवरपुर को उप तहसील बनाए जाने की घोषणा की थी। उनकी घोषणा के अनुरूप भंवरपुर को उपतहसील बनाया गया, जिसके अंतर्गत 120 गांव को सम्मिलित किया गया है। अर्पण कुर्रे का स्थानांतरण 23 जून 2025 को हुआ है उसके बाद से नायब तहसीलदार की पदस्थापना नहीं की गई।
नायब तहसीलदार का पद रिक्त होने से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसानों ने बताया कि हफ्ते में एक-दो दिन ही तहसीलदार यहां पर बैठते हैं बाकी दिन बाबू के भरोसे ही उप तहसील का संचालन हो रहा है। नायब तहसीलदार के नियमित नहीं बैठने से न्यायालयीन कार्य के साथ-साथ राजस्व संबंधी कार्य भी प्रभावित हो रहै है। खासकर आय, जाति, निवास, नामांतरण, बटवारा, बी वन, खसरा, नक्शा त्रुटि सुधार जैसे कार्य समय पर नहीं हो पा रहा है। यहां तक की न्यायालय प्रकरणों की नियमित सुनवाई नहीं होने से लोगों को पेशी पर पेशी मिल रहा है मगर न्याय नहीं मिल रहा है। क्षेत्र के किसानों ने उपतहसील कार्यालय भंवरपुर में नियमित रूप से नायब तहसीलदार की पदस्थापना किये जाने की मांग शासन से की है इन दिनों धान खरीदी के लिए एग्री स्टेक पोर्टल में पंजीयन का काम जोरों से चल रहा है।
जिन किसानों का पंजीयन नहीं हो रहा है या पेंडिंग दिखा रहा है ऐसे किसा ने को तहसील कार्यालय का चक्कर काटना पड़ रहा है सानू ने बताया की धारा 115 के तहत छोटा सा काम जिसमें संयुक्त खाता में अलग-अलग नाम लिखे जाने का काम भी के लिए तहसीलदार का मुंह ताकना पड़ रहा है और तहसीलदार से अप्रूवल नहीं होने के कारण से एग्री स्टेक पोर्टल पर किसानों का धान पंजीयन नहीं हो पा रहा ऐसे में बहुत सारे किसान इस बार धान बेचने से वंचित हो जाएंगे