Sunday, August 10, 2025
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महासमुंद : ब्लैक मार्केटिंग की भी मिल रही शिकायतें, किसान परेशान / बसना के ठुठापाली सोसायटी मे खाद संकट के बीच राहत: सुपर खाद की आपूर्ति शुरू, DAP की कमी अभी भी बरकरार

महासमुंद : ब्लैक मार्केटिंग की भी मिल रही शिकायतें, किसान परेशान / बसना के ठुठापाली सोसायटी मे खाद संकट के बीच राहत: सुपर खाद की आपूर्ति शुरू, DAP की कमी अभी भी बरकरार

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बसना, महासमुंद | 07 अगस्त 2025:
खाद की कमी से जूझ रहे किसानों को आज थोड़ी राहत मिली, जब बसना ब्लॉक के ठुठापाली सहकारी समिति में सुपर खाद की आपूर्ति की गई। जैसे ही इसकी जानकारी फैली, किसानों की भीड़ सोसायटी में उमड़ पड़ी। हालांकि DAP खाद की आपूर्ति अब भी नहीं हो सकी है, जिससे किसान पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं।

सोसायटी प्रभारी सुनील चौधरी ने बताया कि, “पहले चरण में DAP खाद आया था, जिसे किसानों को वितरित किया गया। फिलहाल DAP की सप्लाई रुकी हुई है, लेकिन आगे आने की उम्मीद है। इस बीच किसानों को सुपर खाद उपलब्ध कराया जा रहा है।” उन्होंने यह भी बताया कि 2 से 4 दिनों के भीतर यूरिया खाद की भी आपूर्ति होने की संभावना है।

ब्लैक मार्केटिंग पर उठे सवाल

जहां एक ओर सरकारी समितियों में खाद की कमी देखी जा रही है, वहीं दूसरी ओर ब्लैक मार्केटिंग की शिकायतें भी सामने आ रही हैं।
ग्राम सिरको के किसान दीप पटेल ने बताया, “बसना की कुछ निजी दुकानों में DAP 2000 रुपए और यूरिया 600 रुपए में बेचा जा रहा है, जबकि सरकार की तय दर इससे काफी कम है। प्रशासन को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।”

फसलों पर असर, किसान चिंतित

DAP की अनुपलब्धता के कारण कई किसान सुपर खाद और यूरिया को मिलाकर खेतों में डाल रहे हैं। लेकिन कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह तरीका फसलों की संतुलित पोषण जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता, जिससे पैदावार पर नकारात्मक असर हो सकता है।

स्थानीय किसानो ने चिंता जताते हुए कहा, “हम खाद की कमी से परेशान हैं। समय पर बुवाई हो जाए, इसके लिए जो खाद मिल रहा है, उसी से काम चला रहे हैं। लेकिन इससे उत्पादन पर असर तो पड़ेगा ही।”

प्रशासन और विभाग से अपील

किसानों ने जिला प्रशासन और कृषि विभाग से अपील की है कि खाद की नियमित और पारदर्शी आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
किसानों का कहना है कि यदि खाद समय पर नहीं मिला तो बुवाई प्रभावित होगी और इसका असर सीधा आमदनी और अनाज की उपलब्धता पर पड़ेगा।

जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल

गांवों के किसानों का यह भी कहना है कि खाद संकट के इस दौर में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी समझ से परे है। किसानों ने मांग की है कि वे सामने आकर जिला प्रशासन से खाद संकट पर ठोस कदम उठवाएं।

निष्कर्ष:
जहां सुपर खाद की आपूर्ति से थोड़ी राहत मिली है, वहीं DAP और यूरिया की कमी, ब्लैक मार्केटिंग और वितरण की धीमी गति ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है

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