Thursday, September 18, 2025
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बिलासपुर और बिलाईगढ़ का नाम कैसे पड़ा राजवंशों के समय इनका नाम क्या था

बिलासपुर और बिलाईगढ़ का नाम कैसे पड़ा राजवंशों के समय इनका नाम क्या था / पूर्व राजवंशों के समय फुलझर राज्य का 18 गढ आज सरायपाली बसना के ये गांव है

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महासमुंद बसना हेमन्त वैष्णव 9131614309

छत्तीसगढ़ के फुलझर राज्य तो सभी जानते है की फुलझर राज्य में कभी राजा महाराजाओं का गढ़ रहा है और अभी वर्तमान में ये 18 गांव कौन कौन से गांव है बतादे की फुलझर का भैना राजवंश गोंड़ राजवंश के पहले धमतरी बिलासपुर , पेंड्रा बिलाईगढ़ रायगढ़ सारँगढ़ फुलझर भटगांव आदि राज्यो में शाशन करता था इनका शासन काल फुलझर राज्य में लगातार 18 पीढ़ियों तक रहा

बिलाईगढ़ का नाम कैसे पड़ा

बिलाईगढ़ भी सन 1951 ,52 के पहले एक बड़ी जमीदारी का केंद्र था यह एक विस्मय की बात है की इस ग्राम को बिल्ली का किला बिलाईगढ़ कहा जाता है इसका सम्बंध भैना से जोड़ा जाता है जो एक समय फुलझर के राजा थे कथा में कहा जाता है की भैना ने पहले धमतरी पर कब्जा किया उस स्थान के रक्षिका देवी को बिलाईमाता का नाम दिया जो उनकी कुल देवी थी कहा जाता है की उस काल मे सारँगढ़ राज्य में भैना जाती के राजा राज्य करते थे , सारँगढ़ रियासत लेखक ऋषि राज पांडे के अनुसार सारँगढ़ के समीप भैनार नामक गाँव है जिसे भैना राजाओं ने बसाया होगा गोंड़ राजाओं के उत्कर्ष काल तक इनका शासन सारँगढ़ में था भैना जाती के राजा रतनपुर नरेश पृथ्वी देव के समय तक मांडलिक के रूप में शासन करते थे ।

इस बात की गुंजाइश है कि शिशुपाल पर्वत के नीचे ग्राम पुजारीपाली के शिलालेख में वर्णित गोपाल देव इसी वंस का रहा होगा यह दुर्भाग्य पूर्ण है की इस इस वंश का वंशावली अब तक अप्राप्त है इसका दूसरा प्रमाण यह है की बिलासपुर का पुराना किला भैना जाती का ही देन है इस जाति का बिलाईगढ़ में भी राज करने का प्रमाण है पेंड्रा में भी निवासरत होने का प्रमाण है भैनो के विस्त्रीत क्षेत्रो में से पेंड्रा को कवरो ने पुनः अपने अधीन कर लिया था

बिलासपुर का नाम कैसे पड़ा

 

आदिमजाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान बिलासपुर छग भैना जनजाति का मानव शास्त्रीय अध्ययन से पता चलता है की प्राचीन काल मे यह क्षेत्र रतनपुर राज्य के अंतर्गत आता था रतनपुर में रत्न देव द्वितीय के समय वर्तमान बिलासपुर के स्थान पर घना जंगल था जहां केंवट जाती के कुछ परिवार थे किवदंती के अनुसार एक बार महाराज रत्न देव आखेट हेतु इस वन क्षेत्र में आये शिकार का पीछा करते हुए राजा के सैनिक कुछ दूर आगे निकल गए तथा केंवट की बस्ती में पहुंचकर चना बेचने वाली बिलासा बिलसिया नाम की कन्या से सैनिकों ने दुर्व्यवहार किया जिस पर आत्म ग्लानि से भरी बिलासा ने आत्मदाह कर लिया इस घटना की जानकारी होने पर राजा ने दोषी सैनिकों को कठोर दंड दिया तथा प्रायश्चित स्वरूप उस सती के नाम पर उस स्थान पर बिलासा ग्राम बसाया
वही बिलासा ग्राम कालांतर में बिलासपुर के नाम से एक नगर के रूप में स्थापित हुवा ।

वर्तमान में फुलझर राज्य में कभी राजा महाराजाओं का गढ़ रहा है और अभी वर्तमान में ये 18 गांव इस प्रकार है

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