बसना में शिक्षा-साधना का संगम: स.शि.म. बसना पंचम आचार्य विकास वर्ग हुआ संपन्न
बसना // सरस्वती शिशु मंदिर, बसना में पंचम आचार्य विकास वर्ग गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत मां भारती, ॐ एवं मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई।
प्रथम कालांश के प्रार्थना अभ्यास सत्र में भानुमती साव ने एकात्मता स्त्रोत का अभ्यास कराया। द्वितीय सत्र में “पंच परिवर्तन” विषय पर रमेश कर ने विस्तृत प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि—
➡ राष्ट्र के विकास के लिए समाज का विकास,
➡ समाज के विकास के लिए परिवार का विकास,
➡ और परिवार के विकास के लिए स्व-विकास आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि स्व-विकास का कोई निश्चित मापदंड नहीं, परंतु तन-मन की स्वस्थता, सकारात्मक विचार, स्वदेश, स्वाभिमान, स्व-भाषा, स्वदेशी जीवनशैली और स्व-विचार ही व्यक्ति को परिपूर्ण बनाते हैं। स्वदेशी से स्वालंबन और स्व-भाषा से व्यक्ति का संपूर्ण विकास संभव होता है। उन्होंने नागरिक कर्तव्य, कुटुंब प्रबोधन, समरसता और पर्यावरण संरक्षण पर भी विस्तृत जानकारी दी।
माननीय अवनीश भटनागर ने इंटरनेट के माध्यम से “हमारा लक्ष्य” विषय पर मार्गदर्शन देते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य निकृष्टतम से उच्चतम स्तर की ओर यात्रा है—
1️⃣ मे मम सुख, मम हित
2️⃣ मे मम जन सुख, मम जन हित
3️⃣ बहुजन सुख, बहुजन हित
4️⃣ सर्वजन सुख, सर्वजन हित
यही “सर्वे भवन्तु सुखिनः” का भारतीय जीवन दर्शन है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राष्ट्र का अपना स्वाभिमान और संस्कृति होती है तथा हमारी शिक्षा आने वाली पीढ़ी में इसी भाव को पुष्ट करने का माध्यम होनी चाहिए। जीवन में प्राण, मन, बुद्धि, आत्मा, नैतिकता और आध्यात्मिकता का विकास ही श्रेष्ठ शिक्षा का लक्ष्य है। चतुर्थ कालांश में दिलीप बेहरा ने वैदिक गणित के भाग निखिलं और भाग परावर्त्य विधि को सरल रूप में समझाया।
अंतिम कालांश में गोवर्धन प्रधान ने शारीरिक योग साधना के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सभी को योगाभ्यास कराया। इस आवर्ती में 49 आचार्य बंधु-भगिनियों ने प्रशिक्षण का लाभ लिया।कार्यक्रम का संपूर्ण प्रचार-प्रसार भानुमती साव की लेखनी ‘उपासना’ द्वारा किया गया।


