छत्तीसगढ़ -/ नौकरी चलाने किराए में रखा टीचर हेडमास्टर का भारी सैलरी सूत्रों की माने तो यह सिलसिला पिछले 1 सालों से चल रहा था शिक्षा विभाग के अधिकारी कुम्भकर्णी निद्रा में सरायपाली एसडीएम ने खोला पोल ?
महासमुंद सरायपाली से हेमन्त वैष्णव
9131614309
आपने संविदा पर नौकरी और मकान को किराए पर देने के बारे में सुना होगा। लेकिन छत्तीसगढ़ में महासमुंद जिले के सरायपाली शिक्षा विभाग अंतर्गत लिमगांव सरकारी प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर ने अपनी नौकरी चलाने के लिए एक व्यक्ति को किराए पर पढ़ाने के लिए रख लिया। बताया जा रहा है कि टीचर ने कथित तौर पर कक्षाएं संचालित करने के लिए 6500 रुपए की महीने की नौकरी पर रखा था सूत्रों का कहना है कि यह खेल पिछले एक सालों से चल रहा था सोसल मीडिया में लोगो ने लिखा है कि बसना सरायपाली के कई छात्रावास और स्कूलो में कई ऐसे और मामले सामने आएंगे अगर उच्च स्तरीय जांच हो तो ।

दरअसल अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) सरायपाली हेमंत रमेश नंदनवार द्वारा शासकीय प्राथमिक शाला, उच्च प्राथमिक शाला एवं हाईस्कूल लिमगांव का दोपहर आकस्मिक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण, दौरान शासकीय उच्च प्राथमिक शाला लिमगांव मे पदस्थ उच्च वर्ग शिक्षक श्री धनीराम चौधरी (प्रभारी प्रधान पाठक) लम्बे समय से अनुपस्थित पाये गये। जिसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। निरीक्षण के दौरान सामने आया कि हेडमास्टर श्री धनीराम चौधरी अपने स्थान पर ग्राम छिदपाली के जितेन्द्र साहू को पढ़ाने के लिए 1 सितम्बर 2022 से रखा है जिसे वे 6500 रुपये प्रतिमाह भुगतान करता है। निरीक्षण में पाया गया कि शाला मे पदस्थ कुल 05 शिक्षक है जिसमे मौके पर 2 शिक्षक उपस्थित पाये गये। शाला की दर्ज संख्या 48 है जिसमे 31 विद्यार्थी उपस्थित पाये गये। निरीक्षण दोरान श्री डी. एन. दीवान एवं श्री जे. के. रावल सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी सरायपाली तथा संकुल प्रभारी श्री ठण्डाराम टिकुलिया उपस्थित थे। सभी की उपस्थिति मे पंचनामा तैयार किया गया।

अब इस मामले के खुलासे होने के बाद जिले के सरायपाली शिक्षा विभाग सवालों के घेरे में है कि आखिर कैसे यह सिलसिला 1 साल तक चलता रहा और शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों और संकुल समन्वयक और यहां तक कि ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को भी क्या इस बात का भनक तक नही लगा या आखिर जान बूझकर ये जिम्मेदार अधिकारी अंजान बने रहे और अपने कर्तव्यों से पीछे हटते रहे है या इस भ्र्ष्टाचार में किन कीन अधिकारियों का हाथ है जांच होना चाहिए ।
एक बड़ा सवाल और यह भी है कि आखिर इन एक सालों में प्रधानपाठक
धनीराम चौधरी स्कूलों में नही आकर उन समयो में क्या काम करते थे क्या अपना निजी काम देखते थे अगर निजी काम देखते थे तो पूरे एक साल का वेतन काटा जाना चाहिए कुछ जनप्रतिनिधियों ने तो ऐसे शिक्षिको की सेवा समाप्ति का भी मांग करने लगे है अब देखना यह होगा कि आखिर शिक्षा विभाग के अधिकारी दण्डात्मक कार्यवाही करते है या खाना पूर्ति
हमारा आम लोगों से और पालकों से एक सवाल और क्या 6500 रु में स्कूलो में बच्चो को पढ़ाने के लिए शिक्षिक मिल सकते है तो यहां भारी भरकम वेतन देकर स्कूलो में शिक्षिक रखने की क्या जरूरत 6500 सो वतेन देकर तो लाखो टीचर रखे जा सकते है कम से कम ये इन हेडमास्टर जैसे तो नही होंगे और आपको धोखा नही मिलेगा शाशन प्रशासन को भी इस और ध्यान देना चाहिए ।