CG NEWS बसना/महासमुंद।भारतीय डाक विभाग की लापरवाही का ऐसा मामला सामने आया है, जिसने आम नागरिकों के बीच सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्राम पंचायत बरतियाभांठा के सामने सड़क किनारे एक महत्वपूर्ण दस्तावेज — आधार कार्ड — फाड़कर फेंका हुआ मिला। यह वही आधार कार्ड था, जो 2 जुलाई 2023 को हेड ऑफिस से डिस्पैच हुआ था, परंतु 26 सितंबर 2025 की रात गांव के एक युवक को लावारिस हालत में पड़ा हुआ दिखाई दिया। इस घटना ने न केवल डाक विभाग की जिम्मेदारी पर प्रश्नचिह्न लगाया है, बल्कि दस्तावेज़ सुरक्षा को लेकर भी चिंता पैदा कर दी है।
ग्राम बरतियाभांठा निवासी युवक ने जब दस्तावेज़ देखा तो उस पर लिखे नाम से पता चला कि यह करुणाकर के बेटे का आधार कार्ड है। युवक ने तत्काल करुणाकर उपाध्याय को फोन कर इसकी जानकारी दी। करुणाकर जब मौके पर पहुंचे तो देखा कि आधार कार्ड फाड़ा हुआ था और कीचड़ में सना पड़ा हुआ था। यह देखकर वे हैरान रह गए, क्योंकि यह वही दस्तावेज था जिसका वे महीनों से इंतज़ार कर रहे थे।
करुणाकर उपाध्याय ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे का नया आधार कार्ड आवेदन मई 2023 में किया था, जिसके बाद जुलाई में डाक विभाग से डिस्पैच होने की सूचना मिली थी। लेकिन दस्तावेज न मिलने पर उन्होंने कई बार डाकघर में पूछताछ की, जहां हर बार उन्हें यह कहकर टाल दिया गया कि “आपका कार्ड जल्द पहुंच जाएगा।” अब जब वही कार्ड दो साल दो महीने बाद फटा और फेंका हुआ मिला, तो पूरे गांव में डाक विभाग की कार्यप्रणाली पर नाराज़गी जताई जा रही है।
ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेज, जो किसी व्यक्ति की पहचान, बैंकिंग, राशन, शिक्षा और सरकारी योजनाओं से सीधे जुड़े होते हैं, उन्हें इतनी लापरवाही से हैंडल करना एक गंभीर लापरवाही है। किसी दस्तावेज का फाड़कर फेंका जाना न केवल विभागीय चूक है, बल्कि यह नागरिक अधिकारों से खिलवाड़ भी है।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से इस घटना की जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर आधार जैसे संवेदनशील दस्तावेज़ इस तरह खुले में पड़े मिल सकते हैं, तो यह किसी की भी निजी जानकारी के दुरुपयोग की आशंका को जन्म देता है।
करुणाकर ने बताया कि वे अब डाक विभाग के उच्चाधिकारियों को शिकायत पत्र भेजने की तैयारी में हैं। उन्होंने कहा —
> “हम आम लोग सरकारी संस्थाओं पर भरोसा करते हैं, लेकिन जब हमारे पहचान-पत्रों के साथ इस तरह का व्यवहार होता है तो विश्वास डगमगा जाता है। अगर कोई गलत हाथों में यह दस्तावेज़ चला जाता, तो इसका दुरुपयोग भी हो सकता था।”
डाक विभाग के सूत्रों का कहना है कि अगर पत्र या पार्सल बीच में क्षतिग्रस्त हो जाए या खो जाए, तो इसकी जानकारी संबंधित शाखा से दी जानी चाहिए थी। फिलहाल विभाग ने मामले की जानकारी लेने और जांच शुरू करने की बात कही है।
यह पूरा मामला इस ओर इशारा करता है कि तकनीकी युग में भी सिस्टम की लापरवाही और निगरानी की कमी से आम नागरिकों को कितनी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। एक ओर सरकार डिजिटल इंडिया की बात करती है, वहीं दूसरी ओर ऐसे उदाहरण लोगों के भरोसे को कमजोर करते हैं।
इस घटना ने ग्राम बरतियाभांठा और आसपास के क्षेत्रों में चर्चा का विषय बना दिया है। ग्रामीणों ने मांग की है कि दोषी कर्मचारियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई अन्य नागरिक ऐसी स्थिति का शिकार न हो।