2025, 26 में ग्राम पंचायत में मिलने वाली 15 वे वित्त के अधिकतर राशि को पंचायत के पदाधिकारियों को यह तय करना होता है कि उसे कहां खर्च किया जाए। भारत सरकार यह राशि किन कार्यों के लिए जारी कर रही है, क्या है सरकार की सोच और क्या ग्रामीणों को इसका वास्तविक फायदा मिल रहा है — यह जानना भी ग्रामीणों का अधिकार है।
भारत सरकार तो दिल खोलकर पंचायतों को राशि जारी करती है, लेकिन क्या उसका लाभ वास्तव में ग्रामीणों को मिल रहा है, यह देखना जरूरी है। वर्तमान समय में पारदर्शिता के लिए सरकार ने e-Gram Swaraj (ई-ग्राम स्वराज) नामक एक ऐप की सुविधा दी है, जिसके माध्यम से कोई भी ग्रामीण यह जानकारी ले सकता है कि किन निर्माण कार्यों के नाम से कितनी राशि आहरित हुई है और आने वाले दिनों में कौन-से कार्य प्रस्तावित हैं।
15वें वित्त आयोग ने वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए आरएलबी/पीआरआई को कुल ₹2,36,805 करोड़ रुपये के अनुदान की सिफारिश की है। आयोग ने राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के रूप में जल आपूर्ति और स्वच्छता को पहचाना है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता को निर्धारित करते हैं।
इसने आरएलबी/पंचायतों को आवंटन का 60% अर्थात ₹1,42,084 करोड़ रुपये सशर्त अनुदान के रूप में देने की सिफारिश की है, जिसका उपयोग इस प्रकार किया जाना है —
(अ) पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण, और
(ब) खुले में शौच मुक्त (ODF) स्थिति की स्वच्छता और उसका रखरखाव।
महासमुंद जिले के बसना विकासखंड की ग्राम पंचायत आमपाली में e-Gram Swaraj Panchayat ऐप के माध्यम से देखने पर पता चलता है कि 15वें वित्त में लगभग ₹4 लाख 35 हजार की राशि जमा हुई है, जिसमें से लगभग ₹3 लाख 63 हजार रुपये खर्च किए गए हैं।
अधिकतर खर्च पानी और स्वच्छता से संबंधित कार्यों में किया गया है — सिर्फ़ एक मद भवन मरम्मत से जुड़ी है। यह भी सही है क्योंकि भारत सरकार का भी यही उद्देश्य है कि 15वें वित्त की राशि पेयजल और स्वच्छता पर खर्च की जाए।
लेकिन ग्रामीणों को भी यह देखना होगा कि सरकार द्वारा भेजी गई राशि क्या उनके वास्तविक लाभ के लिए उपयोग हो रही है या नहीं। सरकार द्वारा दिया गया यह अनुदान यदि सही दिशा में उपयोग नहीं हुआ तो यह व्यर्थ साबित होगा।
हर ग्राम पंचायत में यह जमा होने वाली राशि अलग-अलग होती है, लेकिन यह जानना सभी ग्रामीणों के लिए आवश्यक है कि आखिर यह रकम सही जगह खर्च हुई या नहीं।
यही समझ और जागरूकता ही असली ग्राम विकास की पहचान है।