महासमुंद -/ आर बी आई से बगैर मान्यता चली फर्जी फायनेंस कंपनी ने कर दिया हजारों बाईक फायनेंस
बागबाहरा, बसना, सरायपाली,मे शासन को लगाया करोड़ों का चूना
महासमुंद-/
श्रीराम फिन लिज नाम की फर्जी फायनेंस कंपनी ने शासन को लगाया करोड़ों का चूना वहीं ग्राहकों से किया अवैध वसूली

बसना/ महासमुन्द -महासमुन्द जिला अंतर्गत बागबाहरा, बसना, सरायपाली,मे श्रीराम फिन लिज नाम की फर्जी कंपनी लंबे समय से संचालित की जा रही थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बागबाहरा और बसना क्षेत्र में श्रीराम फिन लिज नामक कंपनी संचालित थी, बगैर मान्यता के चल रही कंपनी के द्वारा महासमुन्द जिला मे हजारों की संख्या में दो पहिया वाहन फायनेंस कर लोन दिया गया है। क्षेत्र के भोले भाले ग्रामीण जनता को झांसे मे लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से निर्धारित ब्याज दर से ज्यादा ब्याज लगाकर आम जनता याने ग्राहकों को भारी नुकसान पहुंचाया है। श्रीराम फिन लिज के सुपरवाइजर जोशी से संचार के माध्यम से चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि कंपनी से आर बी आई पंजीकृत है या नहीं उसे कंपनी के डायरेक्टर ही बता सकते हैं।

* रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से प्रमाणित कंपनी ही कर सकती है फायनेंस
भारत शासन के निर्देशानुसार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से प्रमाणित कंपनी फायनेंस का कार्य कर सकती है। लेकिन शासन प्रशासन के नाक के नीचे खुले आम श्रीराम फिन लिज फर्जी फायनेंस कंपनी ने अपना कारोबार बेखौफ होकर संचालित किया और शासन को करोड़ों रूपये राजस्व का नुक़सान पहुंचाया साथ ही महासमुन्द जिले के हजारों ग्राहकों को फंसाकर अवैधानिक रूप से राशि वसूल किया और अभी भी जारी है।
* जिला परिवहन विभाग के द्वारा जारी किया गया एचपी सवालों के घेरे में–
गौरतलब है कि श्रीराम फिन लिज नाम से चल रही फर्जी कंपनी का नाम बदल कर शिवाय केपिटल प्रा.लिमिटेड हो गया है। अब यहां पर प्रश्न वाचक चिन्ह लगता है कि फर्जी रूप से फायनेंस किया गया दो पहिया वाहन को परिवहन विभाग से वाहन नंबर कैसे और किस आधार पर जारी किया गया।यह गंभीर जांच का विषय है।
उल्लेखनीय है कि आर बी आई से रजिस्टर्ड कंपनी को पंजीयन प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये जाने पर ही आर टी ओ से हाइपोथीकेशन चढ़ाया जाता है और मोटर वाहन पंजीकरण प्रमाण पत्र खरीद या पट्टे हाइपोथीकेशन समझौते की प्रविष्टि हेतु पंजीकृत वाहन मालिक और फायनेंसर को फार्म 35 में विधिवत हस्ताक्षर आवश्यक होता है। पश्चात् पंजीकृत वाहन मालिक को पंजीयन नंबर दिया जाता है लेकिन फायनेंस कंपनी को विधिवत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से पंजीकृत होना चाहिए और पंजीकरण प्रमाण पत्र एक प्रति परिवहन विभाग में जमा किया जाना चाहिये।अब आर टी ओ भी सवालों के घेरे में है कि आखिर हाइपोथीकेशन जारी कैसे किया ?
अब देखना यह है कि श्रीराम फिन लिज और परिवहन विभाग के द्वारा मिली भगत कर अवैधानिक रूप से फायनेंस के कार्य को किस तरह अंजाम दिया है।
अगर सूक्ष्मता से जांच की जाती है तो बहुत बड़ी खुलासा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।