Thursday, December 4, 2025
छत्तीसगढ़छत्तीसगढ़: सरायपाली के विधायक जब मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री राजपरिवार के तीन...

छत्तीसगढ़: सरायपाली के विधायक जब मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री राजपरिवार के तीन सदस्य यहां से विधानसभा पहुंचे कांग्रेस के गढ़ में कब खिला कमल और जनता कब देगी महिला विधायक ।

छत्तीसगढ़: सरायपाली के विधायक जब मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री राजपरिवार के तीन सदस्य यहां से विधानसभा पहुंचे कांग्रेस के गढ़ में कब खिला कमल और जनता कब देगी महिला विधायक ।

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सरायपाली विधानसभा सीट के अपने राजनीतिक मायने हैं। यहां राजपरिवार का काफी दखल रहा। राजपरिवार के राजा महेंद्र बहादुर सिंह के साथ ही उनके भाई वीरेंद्र बहादुर सिंह ने भी यहां से चुनाव लड़ा और जीते भी। उनके साथ ही वीरेंद्र बहादुर सिंह के बेटे देवेंद्र बहादुर भी इस सीट से चुनाव लडक़र जीत चुके हैं।

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सरायपाली विधानसभा सीट इसलिए भी काफी अहम और महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि जब यहां पहला चुनाव हुआ तो मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे पं. रविशंकर शुक्ल इस सीट से चुनावी मैदान में उतरे और शानदार जीत दर्ज की। पहले चुनाव में ही कांग्रेस की शानदार जीत को यहां के कांग्रेसी नेताओं ने आगे भी जारी रखा। 1990 में पहली बार कांग्रेस के इस गढ़ में कमल खिला और इसे खिलाने वाले थे भाजपा के नरसिंग प्रधान।

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राजपरिवार के तीन सदस्य यहां से विधानसभा पहुंचे

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सरायपाली राजपरिवार के तीन सदस्यों ने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। बात 1962 की है, जब राजा महेंद्र बहादुर सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे। उनके सामने कांग्रेस के पूर्व विधायक जयदेव सतपथी थे। इस चुनाव में राजा महेंद्र बहादुर ने जयदेव सतपथी को 5491 वोट के अंतर से हराकर जीत दर्ज की। इसी तरह 1972 के चुनाव में राजा महेंद्र बहादुर के भाई के वीरेंद्र बहादुर कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे और

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भारतीय जनसंघ के जगदीश लाल को 1310 वोट के अंतर से हराकर विधायक चुने गए। साल 1998 के चुनाव में राजा वीरेंद्र बहादुर के बेटे राजा देवेंद्र बहादुर ने 14641 वोट से कांग्रेस को जीत दिलाई।

कांग्रेस के गढ़ में 1990 में खिला कमल

सरायपाली विधानसभा क्षेत्र में अब तक कुल 15 विधानसभा चुनाव हुए हैं। इन चुनावों में कांग्रेस के हिस्से 10, भाजपा को 3 और 2 बार निर्दलीय के हिस्से में जीत आई। सरायपाली में कांग्रेस के विजयी रथ को रोकने का काम किया भाजपा के नरसिंग प्रधान ने। साल 1990 के विधानसभा चुनाव में नरसिंग प्रधान के सामने पूर्व विधायक पुखराज सिंह थे। ठीक पांच साल पहले निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतने वाले पुखराज सिंह को इस बार कांग्रेस ने

चुनावी मैदान में उतारा था। जब परिणाम आए तो भाजपा को 32686 वोट मिले। वहीं कांग्रेस को 26841 वोट। इस तरह नरसिंग प्रधान ने 5845 वोट के अंतर से भाजपा को पहली जीत दिलाई।

साल 2018 में कांग्रेस को मिले बंपर वोट, भाजपा के हिस्से आधे भी नहीं आए


साल 2018 के चुनाव में सरायपाली से कांग्रेस ने पूर्व पुलिस अधिकारी किस्मत लाल नंद को टिकट दिया। वहीं भाजपा की ओर से श्याम तांडी मैदान में थे। कुल 190695 मतदाताओं वाली इस विधानसभा सीट में 158419 वोट पड़े। जब परिणाम सामने आए तो किस्मत लाल नंद के हिस्से 100302 वोट आए। वहीं भाजपा के श्याम तांडी को 48014 वोट मिले। तीसरे स्थान पर नोटा रहा, जिस पर 3270 वोट पड़े। इस तरह कांग्रेस के किस्मत लाल नंद ने 52288 वोट के अंतर से चुनाव जीत लिया।

लेकिन अब तक सरायपाली विधानसभा सभा सीट से किसी महिला को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नही बनाया है , भाजपा ने अब श्रीमती सरला कोसरिया को अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी है अब संसद में महिला आरक्षण बिल पास हो गया है इसमें जनता को लग रहा है कि इसी हिसाब से अब सरायपाली में भी कांग्रेस से किसी महिला उम्मीदवार को उतारना चाहिए हलाकि पार्टी महिला हो या पुरुष जितने वाली ही प्रत्यासी देखते है और इसी हिसाब से सरायपाली के महिला नेत्रियों का चहल पहल भी बढ़ गए है सरायपाली से कई ऐसे महिला नेत्री है जो उच्च स्तर के नेताओ के संपर्क में है ।

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