Tuesday, October 14, 2025
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महासमुंद -: इस स्थान पर कभी राक्षस हिडिंब का राज / वो मंदिर जहां हुआ था महाभारत काल के भीम और हिडिंबा का विवाह / जानिए इसका इतिहास

महासमुंद -: महाभारत के भीम और हिडिंबा का विवाह,यहाँ हुवा था आज भी है दिखते हैं प्रमाण छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्वी मध्य भाग में स्थित महासमुंद जिला अपने ऐतिहासिक मंदिरों और सांस्कृतिक इतिहास के लिए जाना जाता है. महानदी के तट पर स्थित सिरपुर गांव पुरातात्विक अवशेषों  और प्राचीन मंदिरों के प्रसिद्ध है. जिले में चूना पत्थर और ग्रेनाइट की खानें हैं और अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से पत्थरों की कटाई-पॉलिशिंग और धान उत्पादन पर निर्भर करती है. महासमुंद जिले का गठन 6 जुलाई 1998 में हुआ था, इसके पहले यह रायपुर जिले का हिस्सा था.

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मान्यता है इस स्थान पर कभी राक्षस हिडिंब का राज था, जिसे भीम में मारा था। भीम के रूप और बल से प्रभावित होकर हिंडिंब राक्षस की बहन हिंडिबा ने भीम से विवाह किया था। यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है माता खल्लारी का मंदिर    (khallari mata temple)। मान्यता है कि ये मंदिर महाभारत काल से भी पुराना है। ये मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस स्थान के आस-पास ऐसे अनेक प्रमाण है, जो बताते हैं कभी पांडवों ने यहां निवास किया था। आगे जानिए खल्लारी माता मंदिर और इस क्षेत्र से जुड़ी कुछ खास बातें…

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ऊंची पहाड़ी पर माता खल्लारी का मंदिर
मान्यता है कि खल्लारी का नाम कभी खल्लवाटिका हुआ करता था। खल्लारी का एक मतलब खल्ल+अरी अर्थात दुष्टों का नाश करने वाली होता है। संभवतया इसी कारण देवी माता का नाम खल्लारी हुआ। यहाँ खल्लारी माता का मंदिर है जो ऊपर पहाड़ी पर स्थित है, जहाँ   पहुँचने के लिए लगभग 850 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। यहां छोटी खल्लारी माता और बड़ी खल्लारी माता के दिव्य मंदिर हैं। ऐसा मान्यता है कि भीम और हिंडिंबा का विवाह इसी मंदिर में हुआ था। क्षेत्र के लोग मां खल्लारी को अपना रक्षक मानते है। ये पूरा इलाका हरियाली से भरा हुआ है।

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ये है मंदिर का इतिहास
प्रारंभिक चरण में खल्लारी पहाड़ी के ऊपर कोई मंदिर नहीं था केवल एक खोह था, जहां पर माता की ऊंगली का निशान था और उसी की पूजा अर्चना कि जाती थी। दर्शनार्थियों की  सुविधा के लिए सन 1940 में यहां सीढ़ियों का   निर्माण कराया गया। इसके बाद समय-समय पर यहां निर्माण कार्य होते रहे। सन् 1985 में सर्वप्रथम नवरात्रि मे ज्योति कलश प्रज्जलित करना प्रारंभ हुआ जिनकी संख्या 11 है। धीरे-धीरे इसकी संख्या में वृद्धि हुई और आज हजारों की संख्या में यहां मनोकामनाएं ज्योति प्रज्जवलित किया जाता है।

आज भी मिलते हैं भीम के यहां रहने के प्रमाण
यहां कई ऐसे निशान हैं, जिनका संबंध भीम से जोड़ा जाता है। यहां पत्थर पर स्थित निशान है, कहां जाता है कि भीम ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए तब ये  निशान बने थे। इसके अलावा यहां भीम चूल्हा आदि भी देखा जा सकता है। यहां नाव के आकार का विशाल पत्थर है, जिसे भीम की नाव भी कहा जाता है। कैसे पहुंचें?

1. यहां से सबसे नजदीक हवाई अड्डा रायपुर में स्थित है।
2. निकटतम बस स्टैंड महासमुंद है। यहां से टैक्सी व अन्य साधन सहजता से सुलभ हो जाते हैं।
3. निकटतम रेलवे स्टेशन भी महासमुंद ही है, जो यहां से 24 किमी दूर है। यहां से भी आसानी से खल्लारी पहुंचा जा सकता है।

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