रायपुर : बिहान योजना से बदली पासल गांव की तस्वीर
बिहान योजना से बदली पासल गांव की तस्वीर महिलाएं बनीं आत्मनिर्भरता की मिसाल

छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचल में महिलाओं की भूमिका अब सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं रही। बिहान योजना के माध्यम से आज वे आर्थिक रूप से सशक्त होकर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं। सूरजपुर जिले के भैयाथान जनपद की ग्राम पंचायत पासल की महिलाएं इस परिवर्तन की सशक्त मिसाल बनकर उभरी हैं। गौरी महिला स्वयं सहायता समूह ने ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत अपनी लगन और मेहनत से एक नई पहचान बनाई है।

गौरी महिला स्वयं सहायता समूह में 10 महिलाओं ने साथ मिलकर स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाया। प्रारंभ में ये महिलाएं खेतिहर मजदूरी और दिहाड़ी पर आश्रित थीं, लेकिन बिहान योजना के अंतर्गत सीआरपी दीदियों द्वारा मार्गदर्शन मिलने के बाद इन्होंने आजीविका गतिविधियों में हाथ आजमाने का निर्णय लिया। नियमित बैठकें, बचत और आपसी सहयोग ने इस समूह को मजबूत नींव दी।

समूह को शासन द्वारा रिवॉल्विंग फंड के रूप में 15 हजार रूपए सामुदायिक निवेश निधि से 60 हजार रूपए तथा बैंक लिंकेज के माध्यम से 3 लाख रूपए की वित्तीय सहायता प्राप्त हुई। इन संसाधनों से समूह की महिलाओं ने अलग-अलग व्यवसाय शुरू किए, जिसमें श्रृंगार और मनिहारी दुकान प्रमुख रही।
समूह की सदस्य श्रीमती सीमा ने वर्ष 2019 में बैंक से 75 रूपए का ऋण प्राप्त कर श्रृंगार एवं मनिहारी दुकान की शुरुआत की। प्रारंभ में सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने अपने दृढ़ निश्चय से व्यवसाय को आगे बढ़ाया। आज वह प्रतिमाह लगभग 13 हजार 800 की आय अर्जित कर रही हैं और अपने व्यवसाय के विस्तार की दिशा में सक्रिय हैं। सीमा की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि आत्मविश्वास और योजना की मदद से कोई भी महिला अपने जीवन को बेहतर बना सकती है। गौरी महिला समूह न केवल अपने सदस्यों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रहा है, बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रहा है। समूह की महिलाएं अब दूसरे गांवों की महिलाओं को भी समूह से जुड़ने और स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं।
विहान योजना ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बदलाव का माध्यम बन रही है। प्रशिक्षण, सहयोग और अवसर मिलने पर महिलाएं किस प्रकार समाज की धुरी बन सकती हैं, यह पासल गांव की गौरी महिला स्वयं सहायता समूह की सफलता से स्पष्ट होता है। जब नीयत साफ हो और मार्गदर्शन सटीक, तो ग्रामीण महिलाएं भी अपने सामर्थ्य से नए मुकाम हासिल कर सकती हैं। पासल गांव की गौरी महिला स्वयं सहायता समूह की कहानी केवल एक गांव की नहीं, बल्कि पूरे राज्य की ग्रामीण महिला शक्ति का प्रतिबिंब है।



