Friday, August 1, 2025
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छत्तीसगढ़ : राज्यपाल के रूप में श्री रमेन डेका के कार्यकाल को एक वर्ष पूर्ण हुए’ राज्यपाल ने सभी जिलों का किया दौरा

छत्तीसगढ़ : राज्यपाल के रूप में श्री रमेन डेका के कार्यकाल को एक वर्ष पूर्ण हुए’ राज्यपाल ने सभी जिलों का किया दौरा

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राज्यपाल श्री रमेन डेका का छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में  एक वर्ष का कार्यकाल पूर्ण हो गया। इस दौरान उन्होंने प्रदेशवासियों के हित को सर्वाेच्च प्राथमिकता देते हुए अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन किया है। वे प्रदेश के जनजातीय समुदायों, महिलाओं, बुजुर्गाे, युवाओं, माताओं, बच्चों, दिव्यांगों सहित सभी वर्गाे की बेहतरी और कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। छत्तीसगढ़ वासियों का अत्यंत सरल, सहज व्यवहार उन्हें प्रेरणा देता हैै। वे जितने सरल और सहज हैं उतने ही जनता से जुड़े हुए भी हैं। छत्तीसगढ़ की संस्कृति एवं परंपराएं उन्हें उनके गृह प्रदेश असम की याद दिलाती है और वे इसे लेकर गर्व महसूस करते है।

श्री डेका ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के रूप में केवल औपचारिक भूमिकाओं तक सीमित न रहकर, राज्य के हर जिले में जाकर वहां की धरातलीय परिस्थितियों को स्वयं देखा, सुना और समझा। प्रदेश के सभी 33 जिलों का दौरा उन्होंने कर लिया है। गांव, कस्बे में जाकर लोगांे से सीधे बात की खास कर उन लोगों से जो सरकार की योजनाओं से जुड़े हुए हैं। उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि योजनाएं सिर्फ कागजों पर है या लोगांे के जीवन में असर कर रही है। उन्होंने महिला समूहों लखपति दीदियों, विद्यार्थियों, किसानों से बात-चीत की और उन्हें प्रेरणा देने के साथ-साथ उनकी समस्याओें का समाधान भी सुझाया।

राज्यपाल श्री डेका की प्राथमिकता रही है कि यह पता लगाया जाए कि सरकारी योजनाएं जरूरतमंद तक पहुंच रही या नहीं। वे खुद प्रधानमंत्री आवास योजना से बने घरों में गए, हितग्राहियों से बातचीत की, टी.बी. मरीजों को फुड बास्केट प्रदान किया। स्व-सहायता समूह की महिलाओं के कार्याे को देखा और उनकी सराहना की।

प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत अभियान के तहत देश एवं प्रदेश को टी.बी. मुक्त करने के लक्ष्य की दिशा में राज्यपाल का विशेष ध्यान है। वे  टी.बी. मरीजों को गोद लेकर उन्हें आर्थिक सहायता और पौष्टिक आहार दे रहे हैं और समाज के लोगों को इस पुनित कार्य में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहे हैं।

राज्यपाल श्री डेका जहां भी गये ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत पौधे लगाकर यह संदेश दिया कि पेड़ लगाना केवल पर्यावरण नहीं, भावना से जुड़ा कर्तव्य है। उन्होंने जल संरक्षण, भू-जल स्तर बढ़ाने, अमृत सरोवर योजना के क्रियान्वयन और रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसे विषयों पर लोगों को जागरूक किया और इन्हें जन आंदोलन का रूप देने की कोशिश की।

श्री डेका का कहना है कि चाहे टी.बी. उन्मूलन हो, नशा मुक्ति, स्वच्छता या सड़क सुरक्षा, सभी अभियानों की सफलता तभी संभव है जब समाज इसकी जिम्मेदारी ले। उनका यह प्रयास है कि सरकारी योजनाएं केवल शासन की न रहें, जनता की बनें।

बतौर कुलाधिपति राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह आयोजित करने पर जोर दिया, जिससे विद्यार्थियों का मनोबल बढ़ता है और वे आत्मऩिर्भरता की राह पर आगे बढ़ते हैं। विगत एक वर्ष में राज्यपाल 4 शासकीय एवं 5 निजी विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए और विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया। उनका कहना है कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालयों की भी बड़ी भूमिका है। उनके द्वारा 5 शासकीय और 6 निजी विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्तियां की गई। उन्होंने दो बार राज्य के विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठकें ली और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने पर  विशेष बल दिया। राज्यपाल के एक वर्ष के कार्यकाल में शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों से संबंधित 100 अध्यादेशों एवं नियुक्तियों का अनुमोदन किया गया। छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष पद पर प्रो. विजय कुमार गोयल की नियुक्ति की गई।

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय अधिनियम में उनके द्वारा संशोधन कराया गया। प्रधानमंत्री के विकसित भारत एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रदेश के विश्वविद्यालयों में सफल क्रियान्वयन के लिए उन्होंने विश्वविद्यालयों का औचक निरीक्षण किया। सहायक प्राध्यापकों को समय पर प्रमोशन देने पर बल दिया ताकि प्रोफेसर पद पर 10 साल का अनुभव होने के बाद छत्तीसगढ़ के प्रोफेसरों को कुलपति बनने का भी अवसर मिले। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति करने तथा शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति समाप्त करने के निर्देश दिए। उन्होंने प्राध्यापकों और छात्रों के बीच बेहतर तालमेल और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर बल दिया।

अपने एक वर्ष के कार्यकाल में राज्यपाल श्री डेका ने कई अभिनव पहल किए। राज्य के तीन गांवों को गोद लेकर उन गांवों में केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न फ्लेगशिप योजनाओं के क्रियान्वयन पर विशेष बल दिया। उनके द्वारा गोद लिए गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण, आजीविका, सामाजिक सुरक्षा,  कृषि, पर्यावरण एवं जल संरक्षण, विरासत एवं संस्कृति के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में शोध एवं अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए श्री डेका की पहल पर पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में श्रीमंत शंकर देव अनुसंधान पीठ की स्थापना की गई है। इसके अलावा राज्यपाल श्री डेका के निर्देश पर सभी स्वशासी महाविद्यालयों में परीक्षा नियंत्रक के पद भी प्रस्तावित किए गए हैं।

श्री डेका ने रेडक्रॉस सोसायटी को एक सशक्त और पारदर्शी संस्था बनाने का संकल्प लिया। उनकी प्रेरणादायी पहल पर पहली बार छत्तीसगढ़ रेडक्रॉस सोसायटी के पदाधिकारियों का चुनाव सम्पन्न हुआ। इससे रेडक्रॉस को जन-जन तक पहंुचाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। उनकी पहल पर पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती पर राजभवन में रक्त दान शिविर एवं स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए गए। टी.बी. रोग के प्रति जागरूकता फैलाने की उद्देश्य से स्क्रीनिंग कैम्प भी लगाया गया।

श्री डेका के पहल पर 10 वीं एवं 12 वीं बोर्ड परीक्षाओं में सर्वाेच्च अंक लेकर प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त करने वाले मेधावी विद्यार्थियों को राजभवन की ओर से पांच-पांच हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गईं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर शुरू हुए एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के तहत देश के अलग-अलग राज्यों का स्थापना दिवस राज्यपाल श्री डेका के मार्गदर्शन में राजभवन में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया इससे देश की एकता, अखण्डता, विविधता और भाईचारे का संदेश मजबूत हुआ।

राज्यपाल श्री डेका ने एक वर्ष में अपने स्वेच्छानुदान मद से 584 संस्थाओं को 1 करोड़ 22 लाख 41 हजार रूपये से अधिक की राशि आर्थिक सहायता के रूप में प्रदान की।

राज्यपाल श्री डेका की हर एक पहल का उद्देश्य यह रहा कि शासकीय योजनाएं शासन की नहीं बल्कि जनता के लिए हितग्राही बनें। अपने इस एक वर्ष के कार्यकाल को वे संतुष्टिपूर्ण मानते हैं और सतत सक्रिय रहते हुए सदैव जनता के हित के लिए लोककल्याणकारी कार्य करना चाहते हैं।

 

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