छत्तीसगढ़/ दिव्यांग बेटे को न्याय दिलाने के लिए 5 साल तक कर्ज लेकर लड़ती रही बूढी मां, अब जाकर मिला इंसाफ
छत्तीसगढ़/जशपुर नगर घर निर्माण के दौरान 11 हजार वोल्ट करंट की चपेट में आ कर 75 प्रतिशत दिव्यांग हुए बेटे को न्याय दिलाने के लिए एक मां लगातार पांच साल तक कानूनी लड़ाई लड़ती रही। आखिर में जिला न्यायालय ने इस गरीब परिवार को न्याय देते हुए 13 लाख 50 हजार रूपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश दे कर गरीब परिवार को बड़ी राहत दी है।
शहर के नजदीकी ग्राम कोमड़ो की निवासी वादी जसंती बाई के अधिवक्ता सत्य प्रकाश तिवारी ने बताया कि जसवंती का बेटा अनूप भगत राज मिस्त्री का काम कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था। घटना दिनांक 23 जून 2020 को चिरोडिपा में सावित्री बाई के घर के निर्माण कार्य में राज मिस्त्री का काम कर रहा था। इसी दौरान निर्माण स्थल के बगल में स्थित बिजली के खम्बे के बारिश के पानी से जमीन में फैले करंट की चपेट में आने से अनूप गंभीर रूप से घायल हो गया।

जिला चिकित्सालय में में प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर स्थिति को देखते हुए अनूप को बेहतर उपचार के लिए रायपुर रेफर कर दिया था। घटना के बाद अनूप भगत 70 प्रतिशत दिव्यांग हो गया। जिला मेडिकल बोर्ड ने परीक्षण के बाद अनूप को दिव्यांगता प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया।

अनूप की मां जसंती बाई ने बेटे को न्याय दिलाने के लिए जिला न्यायलय में अधिवक्ता सत्य प्रकाश तिवारी के माध्यम से परिवाद दायर किया। दोनों पक्षों के तर्क और प्रस्तुत प्रमाणो का परीक्षण करने के बाद न्यायधीश शैलेश अचयुत पटवर्धन ने मकान मालकिन सावित्री बाई और राज्य विद्युत मंडल को संयुक्त रूप से पीड़ित अनूप भगत को साढ़े 13 लाख क्षतिपूर्ति भुगतान करने का आदेश दिया है।
कर्ज लेकर किया न्याय के लिए संघर्ष
जसंतीबाई ने बताया कि दुर्घटना के बाद से उनका पूरा परिवार गंभीर आर्थिक संकट में फंस गया है। परिवार में अनूप के अलावा कमाने वाला कोई सदस्य नहीं है। उनके पिता जमुना राम भी बीमारी से जुझ रहे है। बहन रूचि इस समय कालेज में स्तानक के अंतिम साल की पढ़ाई कर रही है। मां जसंती बाई मेहनत मजदूरी और कर्ज लेकर बेटे का उपचार कराई और फिर बेटे को न्याय दिलाने के लिये जिला न्यायालय में परिवाद दायर किया।
न्यायालय के निर्णय से अनुप के साथ उसके परिवार को आर्थिक सहायता मिलने की उम्मीद जागी है। हालांकि अनूप के सामने अभी पूरा जीवन पड़ा हुआ है। दुर्घटना के बाद चलना-फिरना तो दूर बिस्तर से उठ कर बैठ भी नहीं पाते हैं। जसंती बाई ने बताया कि फिलहाल सरकारी सहायता के नाम पर अनूप को दिव्यांग पेंशन के रूप में 5 सौ रूपये प्रतिमाह मिल रहा है।
दूसरे पीड़ितों को मिलेगी राहत जिला न्यायालय द्वारा पीड़ित अनूप भगत के मामले में दिये गए निर्णय को महत्वपूर्ण बताते हुए अधिवक्ता सत्यप्रकाश तिवारी ने कहा कि इस तरह के मामले में अक्सर पीड़ित को नियम के अनुसार मुआवजा देने से बच निकलते हैं। जिला न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय से इस तरह के मामलों के पीड़ितों को अपने कानूनी अधिकार की लड़ाई लड़ने की प्रेरणा मिलेगी।’’
सत्यप्रकाश तिवारी,अधिवक्ता,परिवादी